मुंबई : आतंकवादियों का प्रेरणास्रोत बना विवादित मुस्लिम धर्म प्रचारक जाकिर नाईक गिरफ्तारी के डर से सोमवार को भारत नहीं लौटा। कानूनी शिकंजा कसने के बाद उसने मुंबई लौटने का अपना कार्यक्रम फिलहाल दो-तीन हफ्ते के लिए टाल दिया है। उसके एक करीबी के अनुसार, मक्का में उमरा करने के बाद अब वह जेद्दा जाएगा, जहां से उसका अफ्रीका जाने का कार्यक्रम है। उसकी संस्था इस्लामिक रिसर्च फाउंडेशन ने मंगलवार को स्काइप के जरिये आयोजित मुस्लिम धर्म प्रचारक की प्रेस वार्ता को भी रद कर दिया है। सोमवार शाम सऊदी अरब से जारी बयान में उसने कहा, ‘किसी भी सरकारी एजेंसी को जांच में मदद करने में मुझे खुशी होगी। मेरे खिलाफ जो भी आरोप लगे हैं, उस पर जो भी जानकारी चाहेंगे, उसे मैं दूंगा।’ हालांकि उसने आरोप लगाया, ‘मेरा मीडिया ट्रायल चल रहा है।’ जाकिर ने एक बार फिर दोहराया कि वह किसी भी रूप में आतंकवाद का समर्थन नहीं करता। वह किसी भी आतंकी संगठन का समर्थक नहीं है। बयान में उसने आगे कहा, ‘अगर समय अनुकूल हुआ तो अगले कुछ दिनों में मैं अपने खिलाफ लगे आरोपों का वीडियो के जरिये जवाब दूंगा। उसे सोशल मीडिया पर भी पोस्ट करूंगा, ताकि अगर मीडिया उसे तोड़मरोड़ कर पेश करता है तो मूल जवाब पब्लिक प्लेटफार्म पर मौजूद रहेगा।’ उसका आरोप है कि मीडिया अपने निहित स्वार्थ की पूर्ति के लिए उसके बयान को तोड़मरोड़ रहा है। उधर, कई मुस्लिम संगठन अब खुलकर नाईक के पक्ष में उतर गए हैं। इनमें जमात-ए-इस्लामी हिंद, मरकज़ी जमीयत-ए-अहले हदीस हिंद, ऑल इंडिया मिल्ली काउंसिल, सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया (एसडीपीआई) एवं उर्दू जर्नलिस्ट फोरम जैसी संस्थाएं शामिल हैं। इन संस्थाओं का मानना है कि नाईक इस्लाम का अन्य धर्मों से तुलनात्मक अध्ययन कर भाषण देनेवाले विद्वान हैं। इनका जानबूझ कर उत्पीड़न किया जा रहा है।