डॉक्टर विजयकुमार एक केस को याद करते हुए बताती हैं कि एक शादीशुदा पुरुष अपनी कलीग और मिस्ट्रेस के साथ आया था। दोनों का रिश्ता शारीरिक संबंध से शुरू हुआ लेकिन महिला इस अफेयर के प्रति काफी गंभीर थी और पुरुष से भी ज्यादा कमिटमेंट चाहती थी।
दूसरी तरफ पुरुष न कमिटमेंट दिखा रहा था और न ही रिलेशन खत्म करना चाहता था। दोनों शादीशुदा जोड़ों की तरह ही कई थेरपी सेशंस के लिए आए। डॉ. विजयकुमार कहती हैं, ‘रिश्ते हमेशा से उलझे हुए होते हैं। यह उसका एक और आयाम है।’
मुंबई की एक मैरेज काउंसलर सीमा हिंगोर्रेनी बताती हैं कि पांच साल पहले उनके यहां हर महीने में इस तरह के 3 कपल्स आते थे लेकिन अब 10 आ रहे हैं। इनमें आधी तो शादीशुदा महिलाएं हैं जो अपने बॉयफ्रेंड्स के साथ आती हैं। वह कहती हैं कि पुरुष आम तौर पर इस तरह से अपने पार्टनर का परिचय कराते हैं कि यह मेरी गर्लफ्रेंड है, पत्नी नहीं। वह इस तरह की बातें करते हैं कि ‘हम आध्यात्मिक तौर पर एक हैं’ या हम ‘मन से शादीशुदा’ हैं।
हिंगोर्रेनी बताती हैं कि एक्स्ट्रा मैरिटल रिलेशंस ज्यादा उलझे हुए हैं और शादियों के मुकाबले ये ज्यादा वोलाटाइल हैं। इसके अलावा इनमें कई तरह की नकारात्मकता, फाइनैंशल इशूज और बच्चों के पहलुओं पर भी विचार करना पड़ता है।