रियो ओलंपिक: टेनिस अभियान निराशा के साथ समाप्त, सानिया और बोपन्ना की जोड़ी कांस्य पदक मैच में भी हारी

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दिल्ली

रियो ओलंपिक में भारत का दिन आज भी खराब रहा। सानिया मिर्जा और रोहन बोपन्ना की जोड़ी को आज यहां मिश्रित युगल स्पर्धा के कांस्य पदक के प्ले आफ मैच में चेक गणराज्य के रादेक स्टेपानेक और लुसी हरादसेका से हार का मुंह देखना पड़ा जिससे भारत का रियो ओलंपिक खेलों में टेनिस अभियान निराशा के साथ समाप्त हुआ।

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भारतीय जोड़ी ने लगातार दो जीत के साथ सेमीफाइनल में जगह बनाकर पदक की उम्मीदें बढ़ा दी थी लेकिन उन्हें आज यहां मिश्रित युगल स्पर्धा में एक घंटे 13 मिनट में 1-6 6-7 से पराजय मिली।

रियो ओलंपिक में पदक की उम्मीद सिर्फ मिश्रित युगल से ही थी क्योंकि इसमें केवल 16 टीमें ही खेल रही थी और तीन मैच जीतकर ही पदक सुनिश्चित होना था।

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सानिया और प्रार्थना थोम्बरे महिला युगल स्पर्धा के पहले दौर में ही बाहर हो गयी और यही हाल पुरूष युगल स्पर्धा में रहा। बोपन्ना और लिएंडर पेस भी पहले दौर में पराजित हो गये। पेस :43 वर्षीय: सात ओलंपिक में भाग ले चुके हैं, वह एकमात्र भारतीय टेनिस खिलाड़ी हैं जिन्होंने खेलों के महासमर में पदक जीता है। उन्होंने 1996 अटलांटा ओलंपिक में एकल वर्ग का कांस्य पदक अपने नाम किया था।

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स्टेपानेक ने कांस्य पदक के मुकाबले में अद्भुत खेल दिखाया और चेक गणराज्य के इस खिलाड़ी ने अपने ताकतवर स्ट्रोक्स और बेहतरीन रैलियों से प्रतिद्वंद्वियों को पस्त किया। उन्होंने शानदार ढंग से अंक जुटाये।