भले ही वह विश्व कप दृष्टिहीन खिलाड़ियों का था लेकिन भालाजी के दम पर भारत सेमी-फाइनल में पहुंच सका था। किसान परिवार से आने वाले इस क्रिकेटर को उम्मीद थी कि विश्वकप के बाद उनकी जिंदगी बेहतर हो जाएगी लेकिन आज 18 साल बाद यह प्रतिभावान खिलाड़ी भैंस चराने और छोटे-मोटे खेती के काम करने को मजबूर हैं।