यही रणनीति पूर्वी यूपी में भी अपनाई जाएगी जहां यह जिम्मेदारी मायावती ने अपने सांसद मुनकद अली और पूर्व सांसद सलीम अंसारी को दी है। अली को इलाहाबाद और वाराणसी (पीएम मोदी का संसदीय क्षेत्र) में सभा करने को कहा गया है, वहीं अंसारी को गोरखपुर का जिम्मा दिया गया है जो बीजेपी सांसद योगी आदित्यनाथ का गढ़ माना जाता है। इसी तरह नौशाद अली, अतहर अली खान और शमशुद्दीन जैसे बीएसपी के जोनल कोऑर्डिनेटर्स को बुंदेलखंड, देवीपाटन संभाग और आजमगढ़ संभाग में सभाएं करने को कहा गया है।
एक राजनीतिक समीक्षक ने कहा, ‘मायावती को पता है कि ऐसे वक्त में जब समाजवादी पार्टी में अंदरूनी लड़ाई चल रही है, मुलायम द्वारा कांग्रेस से गठबंधन की बात को खारिज करने की क्या अहमियत है।’ दो दिन पहले ही मायावती ने बीजेपी पर आरोप लगाया था कि वह मुलायम को आय से अधिक संपत्ति के मामले में कार्रवाई का डर दिखाकर उन पर कांग्रेस से गठबंधन करने का दबाव डाल रही है।