योगी नहीं पूरा कर पाए गढ्ढामुक्त सड़क का वादा ?

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नई दिल्ली : सत्ता संभालते ही मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 15 जून तक उत्तर प्रदेश की सड़कों को हर हाल में गड्ढामुक्त करने के निर्देश दिए थे। डेडलाइन खत्म होने से ऐन पहले खुद सरकार का मानना है कि वह इस लक्ष्य को पूरी तरह से हासिल करने से चूक सकती है। प्रदेश के उपमुख्यमंत्री और वहीं, प्रदेश में कानून-व्यवस्था में अपेक्षित सुधार न आने के सवाल पर उन्होंने कहा कि इसकी वजह यह है कि अब हमने थानों को सबकी शिकायत दर्ज करने के आदेश दिए हैं, पहले ऐसा नहीं हो रहा था। उन्होंने भरोसा दिलाया कि जल्द ही कानून-व्यवस्था के मोर्चे पर बड़ा बदलाव दिखने लगेगा।

केशव प्रसाद मौर्य ने अपनी सरकार के तीन महीने के कार्यकाल को काफी सफल बताया। उन्होंने कहा कि हमने किसानों की कर्जमाफी, भू-माफिया के खिलाफ टास्क फोर्स, ऐंटी-रोमियो स्क्वॉड का गठन और पावर फॉर ऑल समझौते पर हस्ताक्षर जैसे कई फैसले किए हैं। उपमुख्यमंत्री ने कहा कि इन फैसले से राज्य को लेकर लोगों के बीच छवि बदली है और आने वाले दिनों में जमीन पर इसका काफी असर दिखने लगेगा। उन्होंने कहा कि देश का हर राज्य पावर फॉर ऑल के साथ जुड़ चुका था, लेकिन अखिलेश सरकार ने तीन सालों तक केंद्र के साथ यह समझौता नहीं किया। मौर्य ने यह भी दावा किया कि प्रदेश के किसी भी इलाके में 18 घंटे से कम बिजली की आपूर्ति नहीं की जा रही है। यूपी के सारे गांवों में कब तक बिजली पहुंच जाएगी, इस सवाल पर स्पष्ट डेडलाइन देने से बचते हुए उन्होंने कहा कि पावर ऑर ऑल के समझौते के बाद हम तेजी से काम कर रहे हैं और जल्द ही इस लक्ष्य को हासिल कर लेंगे।

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सड़कों के लिए बजट की कमी
पूरे प्रदेश की सड़कों की मरम्मत के सवाल पर उन्होंने कहा कि हम इसके लिए तेजी से काम कर रहे हैं। दूसरी तरफ, लोक निर्माण विभाग के सूत्रों ने बताया कि प्रदेश की सभी 1 लाख 21 हजार 816 किलोमीटर सड़कों की मरम्मत का काम तय समयसीमा में संभव नहीं हो पाएगा। उच्चस्तरीय समीक्षा बैठक में भी यह बता दिया गया है कि इसके लिए जरूरी बजट विभाग के पास उपलब्ध नहीं है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, पीडब्ल्यूडी को सभी सड़कें चलने लायक बनाने के लिए 4500 करोड़ रुपये की जरूरत है, जबकि वर्तमान में उसके पास इस मद में मात्र 1250 करोड़ रुपये ही हैं। दरअसल, जिन सड़कों को सिर्फ पैच मरम्मत की जरूरत है, वैसी करीब 44 हजार किलोमीटर सड़कों पर काम तय समयसीमा में हो जाने की उम्मीद है। असली समस्या करीब 41 हजार किलोमीटर लंबी ऐसी सड़कों को लेकर है, जिनकी ऊपरी परत पूरी तरह से उधड़ चुकी है।

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