एडम ने ‘पॉल एच नीत्सशे स्कूल ऑफ एडवांस्ड इंटरनेशनल स्टडीज’ में कहा कि पाकिस्तान कई मामलों में आतंकवाद रोधी अभियानों में एक अहम साझेदार था और रहेगा। उन्होंने कहा, ‘‘निश्चित तौर पर पाकिस्तानी खुद स्कूलों, बाजारों और मस्जिदों में निर्मम आतंकी हमलांे के पीड़ित रहे हैं और यह सूची लंबी है। ऐसी हिंसा के बीच में पाकिस्तान ने कुछ हद तक प्रतिक्रिया भी दी है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘पाकिस्तान को उत्तरपश्चिमी पाकिस्तान में आतंकवाद की पारंपरिक शरणस्थलियांे के खिलाफ चल रहे अभियानों में सफलता हासिल हुई है। उसने आईएसआईएल को आधिकारिक तौर पर आतंकी संगठन घोषित कर दिया है। यह तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान या टीटीपी के वित्त पोषण और संचालन क्षमताओं को निशाना बना रहा है।’’ लेकिन आतंकी समूहों को आईएसआई की ओर से समर्थन दिए जाने की समस्या जारी है।
उन्होंने कहा, ‘‘इस भेद का हम समर्थन नहीं कर सकते।’’ अमेरिका यह कहता रहा है कि पाकिस्तान ने आतंकियों के हक्कानी नेटवर्क को युद्ध प्रभावित अफगानिस्तान में घातक हमलों की साजिश रचने से रोकने के लिए उसपर पर्याप्त दबाव नहीं बनाया है। अफगान अधिकारियों का आरोप है कि तालिबान के साथ-साथ लड़ रहे हक्कानी समूह के नेता उच्च स्तरीय हमलों के निर्देश दे रहे हैं। ये हमले खासतौर पर काबुल में करने के लिए कहा जा रहा है। ये नेता पाकिस्तानी धरती पर अपनी शरणस्थलियों में हैं और उन्हें देश की खुफिया सेवा के अधिकारियों का प्रश्रय प्राप्त है। पाकिस्तानी अधिकारी किसी भी शरणस्थली की मौजूदगी से इनकार करते रहे हैं और कहते आए हैं कि आतंकवाद रोधी सैन्य अभियानों में सीमा पर उनकी ओर के क्षेत्र में सभी आतंकी संरचनाओं को निशाना बनाया गया है और उन्हें उखाड़कर फेंका गया है।