1- रिपोर्ट में मुस्लिम विद्वान एलहाम मानिया के हवाले से कहा गया है कि ब्रिटेन की शरिया अदालतों में ऐसे मुस्लिम काजी हैं जो मानते हैं कि कुछ अपराधियों को हाथ काट देने की सजा दी जानी चाहिए। मानिया मुस्लिम मौलानाओं को अधिनायकवादी मानती हैं। उनके अनुसार ब्रिटेन के कुछ इलाके पाकिस्तान से भी ज्यादा पिछड़े हुए हैं।
2- बच्चों को मौलिक ब्रिटिश मूल्यों की शिक्षा देने को नेशनल यूनियन ऑफ टीचर्स ‘सांस्कृतिक वर्चस्ववाद’ मानता है। संगठन चाहता है कि बच्चों को इसकी जगह ‘अंतरराष्ट्रीय अधिकारों’ की शिक्षा दी जानी चाहिए।
3- 615 पन्नों के सर्वे के अनुसार एक लाख से ज्यादा ब्रिटिश मुसलमानों को आत्मघाती हमलावरों और आतंकियों से सहानुभूति थी। ब्रिटेन के करीब एक तिहाई (34%) मुसलमान अपने किसी नजदीकी व्यक्ति के कट्टरपंथी इस्लाम की तरफ बढ़ते झुकाव की सूचना पुलिस या खुफिया एजेंसियों को नहीं देंगे। सर्वे में शामिल करीब 23 प्रतिशत ब्रिटिश मुसलमानों ने कहा कि जिन ब्रिटिश इलाकों में बड़ी मुस्लिम आबादी रहती है उनमें इस्लामी शरिया कानून लागू होना चाहिए।
4- रिपोर्ट में एक पूर्व कैदी के हवाले से कहा गया है कि लंदन स्थित बेलमार्श अधिकतम-सुरक्षा जेल ‘जिहादी ट्रेनिंग कैंप’ जैसी है। रिपोर्ट में ब्रिटिश सरकार पर जेल में बढ़ते इस्लामी कट्टरपंथ को सामने लाने वाली रिपोर्ट को दबाने का आरोप लगाया गया है। रिपोर्ट के अनुसार जेल के कर्मचारी इस्लामिक कट्टरपंथी बरताव को रोकने में अनिच्छुक होते हैं क्योंकि उन्हें नस्लभेदी ठहराये जाने का डर होता है।
5- मैनचेस्टर में रहने वालों के घरों में ‘पब्लिक प्योरिटी’ नामक एक मुस्लिम समूह ने पर्चा भेजा था जिसमें सार्वजनिक जगहों पर कुत्तों को लेकर जाने पर प्रतिबंध लगाने की बात मांग की गयी थी।
6- एक सरकारी रिपोर्ट के अनुसार ‘राजनीतिक तटस्थता’ दिखाने के लिए चुनाव में मुस्लिम समुदाय से जुड़ी धांधलियों को नजरअंदाज किया जाता है।
7- ब्रिटेन में चाइल्ड सेक्स की राजधानी कहे जाने वाले टेलफोर्ड में पुलिस पर पाकिस्तानी सेक्स गैंग द्वारा सैकड़ों बच्चों के यौन शोषण के मामलों को छिपाना का आरोप है।
साभार जनसत्ता