ब्रूनेई, मलयेशिया, फिलिपीन्स, वियतनाम और ताइवान भी साउथ चाइना सी पर अपना दावा करते हैं। यह मामला अंतरराष्ट्रीय न्यायालय में भी गया था और वहां चीन के खिलाफ फैसला आया। चीन ने इस फैसले को मानने से इनकार कर दिया था। चीन इस मुद्दे पर बेहद आक्रामक रुख अपना रहा है और इस विवाद के कारण पूरे दक्षिण एशियाई क्षेत्र में काफी तनाव पैदा हो गया है। अमेरिका ने इस मामले में चीन की आलोचना की है। संयुक्त राष्ट्र (UN) ने कई बार चीन को अंतरराष्ट्रीय कानूनों का हवाला देते हुए कहा है कि वह किसी भी देश के जहाज और विमानों को दक्षिणी चीन सागर से होकर गुजरने से ना रोके।
अमेरिका के राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने भी अमेरिका के रक्षा बजट को लगभग 10 फीसद तक बढ़ाने का ऐलान किया था। अमेरिका की इस घोषणा के बाद चीन ने भी रक्षा बजट बढ़ाने की बात कही है। चीन पिछले 10-15 सालों से रक्षा बजट और सेना के आधुनिकीकरण पर जमकर पैसा खर्च करता आ रहा है। 2010 के बाद पहली बार 2016 में चीन ने रक्षा बजट में 10 फीसद से कम की वृद्धि की। चीन ने अपने आर्थिक विकास के साथ-साथ सैन्य क्षमता बढ़ाने पर भी काफी ध्यान दिया है। चीन पिछले कुछ सालों से दक्षिणी चीन सागर में बड़ी तेजी से कृत्रिम द्वीपों का निर्माण कर रहा है। इन द्वीपों पर किसी भी तरह की सैन्य कार्रवाई को अंजाम दिया जा सकता है। इन द्वीपों को लेकर भी बाकी देशों ने काफी चिंता जताई है। अभी कुछ ही दिनों पहले चीन ने यहां समुद्र के अंदर एक प्लेटफॉर्म विकसित करने की भी घोषणा की थी। पूरे दक्षिणी चीन सागर क्षेत्र की निगरानी के लिए चीन इस प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल करेगा।