रिपोर्ट में कहा गया कि हाल में ही ताइवान के मुद्दे पर चीन और अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्र पति डॉनल्डल ट्रंप के बीच जो वाकया हुआ उससे भारत को सीख लेनी चाहिए। अपने आंतरिक हितों की रक्षा के चीन के संकल्पप को टेस्टा करने के लिए ट्रंप ने जो कदम उठाया और इसके बदले उन्हेंष जो जवाब मिला, उससे उन्हेंर समझ आ गया होगा कि चीन की संप्रभुता और राष्ट्रीेय एकता को खंडित नहीं किया जा सकता है। इस तरह के संवेदनशील मुद्दों और चीन के आंतरिक मामलों में दखल देने से पहले अब अमेरिका भी दो बार सोचेगा, फिर वह क्याक चीज है जो भारत को इतना आश्वअस्त करती है कि वह ऐसा कर सकता है?
ग्लोकबल टाइम्सो ने कहा कि भारत कभी-कभी बिगड़ैल बच्चेस की तरह बर्ताव करता है और ‘दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र’ के तमगे की वजह से काफी उत्साहित महसूस करता है। भारत के पास महान देश बनने की क्षमता है लेकिन इस देश का विजन अदूरदर्शी है। भारत, चीन की राष्ट्री य और अंतरराष्ट्री य समस्यााओं का फायदा उठाकर उसके विकास को बाधित करना चाहता है जिनमें से ज्यारदातर का भारत के राष्ट्रीओय हितों के साथ कोई लेना-देना नहीं है।































































