रिपोर्ट में कहा गया, ‘कश्मीर को लेकर भारत और पाकिस्तान के बीच चल रहे हालिया विवाद के कारण भारत 46 अरब डॉलर के इस प्रॉजेक्ट में शामिल होने को लेकर चौकस है। ऐसा इसलिए क्योंकि यह प्रॉजेक्ट पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) से होकर गुजरता है। हालांकि, पाकिस्तान की तरह, भारत की प्रमुख रणनीति आर्थिक और सामाजिक विकास की होनी चाहिए। दोनों देशों के बीच तनाव कम करने का सबसे प्रमुख उपाय यह है कि आर्थिक संबंध स्थापित किए जाएं और ये आर्थिक संबंध आपसी फायदे पर आधारित हों। चीन की यह कतई मंशा नहीं है कि वह सीपीईसी का इस्तेमाल भारत-पाकिस्तान के बीच के विवाद का फायदा उठाने में करे। इसके विपरीत, चीन चाहता है कि भारत सीपीईसी में शामिल हो। चीन, दक्षिण एशिया के दो पड़ोसी मुल्कों (भारत-पाक के संदर्भ में) को दोस्ताना माहौल में देखना चाहता है।’
इससे पहले पाकिस्तान के क्वेटा स्थित दक्षिणी कमान के लेफ्टिनेंट जनरल आमिर रियाज ने मंगलवार को कहा था कि भारत को पाकिस्तान के साथ ‘शत्रुता छोड़कर’ ईरान, अफगानिस्तान और अन्य मध्य एशियाई देशों के साथ 46 अरब डॉलर वाले सीपीईसी में शामिल होना चाहिए और उसका लाभ उठाना चाहिए।