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मालूम हो कि 1979 में जब कुछ ईरानी छात्रों ने अमेरिकी दूतावास को निशाना बनाकर 52 राजनयिकों को बंधक बनाया था, उस समय एबतेकार उन छात्रों की प्रवक्ता बनकर सामने आईं थीं। ऐसे में एबतेकार के साथ प्रस्तावित मुलाकात और बैठक को लेकर बारबरा को अपने देश में भी काफी आलोचनाओं का सामना करना पड़ रहा था। इस बैठक पर प्रतिक्रिया करते हुए जर्मनी के क्रिस्चन डेमोक्रैटिक यूनियन के सांसद थॉमस फिस्ट ने एक जर्मन अखबार से कहा, ‘ईरान के बदलने की बात को हम नहीं मानते। अपने राजनैतिक सहयोगी चुनते हुए हमें ज्यादा सावधानी बरतनी चाहिए।’ ईरान के परमाणु कार्यक्रम पर जनवरी में खत्म हुई बातचीत के बाद ईरान के ऊपर लगे कई प्रतिबंध वापस ले लिए गए हैं। ऐसे में ईरान एक बार फिर वैश्विक अर्थव्यवस्था के साथ जुड़ गया है।
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