मोसुल में अल-नूरी मस्जिद को ISIS के विद्रोहियों ने उड़ा दिया। 800 साल पुरानी इस मस्जिद में आईएस नेता अबू बकर अल बगदादी ने 2014 में पहली बार लोगों के सामने भाषण दिया था और अपनी खिलाफत की घोषणा की थी। अमाक न्यूज एजेंसी के मुताबिक यह मस्जिद अमेरिका के हवाई हमले में नष्ट हो गई, लेकिन अमेरिका के नेतृत्व वाले गठबंधन ने इससे इनकार कर दिया। अमेरिका की अगुवाई वाले गठबंधन के प्रवक्ता कर्नल रयान डिलन ने कहा, हम यह पुष्टि कर सकते हैं कि अल-नूरी मस्जिद नष्ट हो गई लेकिन यह गठबंधन हमले के कारण नष्ट नहीं हुई है। हमने उस इलाके में शाम को हमला नहीं किया। इराकी सेना के एक शीर्ष कमांडर अब्दुलमीर याराल्लाह ने एक बयान में कहा, हम पुराने शहर में अंदर तक उनके ठिकानों की ओर बढ़ रहे थे और जब नूरी मस्जिद के 50 मीटर के दायरे में घुस गए तो ISIS ने नूरी मस्जिद और उससे लगी इमारत हदबा को उड़ा कर एक और ऐतिहासिक अपराध किया।
बता दें कि मोसुल में पिछले कुछ दिनों से भयंकर लड़ाई छिड़ी हुई है। 19 जून को इराकी अधिकारियों ने शहर को अपने कब्जे में लेने के लिए आतंकी संगठन ISIS के खिलाफ हमले शुरू किए थे। उन्होंने पर्चा गिराकर लोगों को दूर रहने की सलाह दी है। पिछले आठ महीनों में इराकी सुरक्षा बलों ने धीरे-धीरे इस्लामिक राज्य के ऐतिहासिक शहर मोसुल से उग्रवादियों को खत्म करने का अभियान चला रखा है। इसी अभियान के दौरान वह शहर के सबसे प्रतीकात्मक अल-नूरी मस्जिद के पास थे और ISIS के आतंकियों ने इसे विस्फोटक से उड़ा दिया।
Blowing up the historical Al Nuri mosque & its iconic Al-Hadbaa minaret is #ISIS "declaration of defeat", #Iraq PM @HaiderAlAbadi https://t.co/6NfcNyuU0h
— SaadAbedine (@SaadAbedine) June 21, 2017
Joint ops distributed this video which they say is of the moment the al-Nuri mosque was destroyed. Definitely looks like ISIS blew it pic.twitter.com/hReaXYZnRe
— Loveday Morris (@LovedayM) June 21, 2017
इराक के प्रधानमंत्री हैदर अल-अबादी ने ट्वीट करके कहा कि ISIS का यह कारनामा उसकी हार को दर्शाता है। इसमें मस्जिद की मीनार पूरी तरह नष्ट हो गई है। इराक के सैन्य कमांडरों का कहना है कि सुरक्षा बलों से घिरने के बाद आतंकियों ने मस्जिद को उड़ा दिया। मोसुल ISIS का गढ़ है, जहां पर आतंकी संगठन और सुरक्षा बलों के बीच जबरदस्त लड़ाई चल रही है। संयुक्त राष्ट्र के मुताबिक बगदादी ने पहली और आखिरी बार इसी मस्जिद में सार्वजनिक रूप से लोगों को संबोधित किया था। आईएसआईएस जॉइन करने से मना करने पर करीब एक महीने पहले मस्जिद के इमाम की हत्या कर दी गई थी।
































































