गौरतलब है कि सरकार ने ताजा कदम कदम संघीय गठबंधन द्वारा तीन सूत्रीय समझौते को लागू करने के लिए दिए गए 15 दिन का अल्टीमेटम खत्म होने के बाद उठाया है। संघीय गठबंधन मधेशी दलों और अन्य समुदायों का समूह है जो उपेक्षित लोगों को और अधिक प्रतिनिधित्व व अधिकार देने की मांग को लेकर आंदोलन कर रहे हैं। मधेशी दलों की दो प्रमुख मांगे हैं। पहला, प्रांतों की सीमा का फिर से निर्धारण और दूसरा नागरिकता। मधेशी ज्यादातर भारतीय मूल के हैं। नए संविधान के विरोध में इस समुदाय के लोगों ने पिछले साल सितंबर से लेकर इस साल फरवरी तक छह महीने का आंदोलन चलाया था। इससे देश की अर्थव्यवस्था चरमरा गई थी, क्योंकि भारत से होने वाली आपूर्ति ठप कर दी गई थी।
नए प्रांत के गठन के विरोध में देश के कई हिस्सों में बुधवार को प्रदर्शन हुए। प्रदर्शनकारी संसाधन संपन्न प्रांत संख्या पांच के विभाजन का विरोध कर रहे थे। हिमालयन टाइम्स के अनुसार प्रदर्शन में आम लोगों के साथ-साथ छात्र भी शामिल थे। रूपानदेही जिले के बुटवाल इलाके में इसका सबसे ज्यादा जनजीवन पर प्रभाव दिखा। पूर्वी-पश्चिम राजमार्ग और उत्तरी-दक्षिण सिद्धार्थ राजमार्ग पर गाडि़यों की आवाजाही ठप रही और बाजार भी आंशिक तौर पर बंद रहे। पल्पा, गुल्मी, कपिलवस्तु और अरघखांची जिलों में भी प्रदर्शन हुए।