तो स्वतंत्रता दिवस पर पीएम मोदी ने इसलिए किया बलूचिस्तान का जिक्र

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बलूचिस्तान

स्वतंत्रता दिवस के मौके पर अपने भाषण में पीएम मोदी ने बलूचिस्तान का जिक्र किया था, लेकिन पीएम को उनके शीर्ष सहायकों ने उन्हें अपने भाषण में बलूचिस्तान का जिक्र करने को लेकर आगाह किया था। अधिकारियों का कहना था कि इतने महत्वपूर्ण मौके पर पाकिस्तान के अशांत प्रांत बलूचिस्तान का जिक्र करना सही नहीं होगा। अफसरों की सलाह थी कि उनके भाषण में बलूचिस्तान का जिक्र करना परमाणु संपन्न दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ा सकता है। इसके अलावा कश्मीर के मुद्दे पर भी तनाव बढ़ सकता है, जिसके चलते दोनों देशों के बीच तीन युद्ध हो सकते हैं।

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अगस्त की शुरुआत में हुई मीटिंग में मौजूद रहे एक सीनियर अफसर ने बताया कि कमरे में मौजूद नेता आक्रामक रवैया अपनाने के पक्ष में थे। खासतौर पर कश्मीर को लेकर पाकिस्तान की ओर से दिए गए बयान को लेकर नेताओं में गुस्सा था। इन नेताओं की राय से सहमति जताते हुए पीएम मोदी ने भी पाकिस्तान के प्रति कड़ा रवैया अपनाते हुए अपने भाषण में बलूचिस्तान का जिक्र करने पर सहमति जताई।

इसके चलते दोनों प्रतिद्वंद्वी देशों के बीच आर्थिक संबंधों की वजह से नजदीकी बढ़ने की संभावनाएं भी खत्म हो गईं। सोमवार से अमेरिकी विदेश मंत्री जॉन केरी के तीन दिवसीय दौरे में भी यह अजेंडा टॉप पर हो सकता है। नाम उजागर न करने की शर्त पर सीनियर अधिकारी ने बताया, ‘ब्यूरोक्रेट्स ने पीएम मोदी को सुझाव दिया कि यह आइडिया अच्छा हो सकता है, लेकिन स्वतंत्रता दिवस के अहम मौके पर ऐसा करना सही नहीं होगा।’

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अधिकारी के मुताबिक, इन सुझावों को रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने खारिज कर दिया, जबकि गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने भी उनका सपॉर्ट किया। राजनाथ ने कहा कि पाकिस्तान को ‘शांत’ करने के लिए हम सबकुछ करना चाहिए। हालांकि पीएम मोदी की स्पीच से जुड़े मामले में विदेश मंत्रालय ने किसी तरह की टिप्पणी करने से इनकार कर दिया है। इसके अलावा पीएमओ, डिफेंस और होम मिनिस्ट्री ने भी इस पर कोई कॉमेंट से इनकार कर दिया।

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गौरतलब है कि 15 अगस्त के मौक पर लाल किले की प्राचीर से देश को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने बलूचिस्तान और पाक अधिकृत कश्मीर में मानवाधिकारों के हनन का मुद्दा उठाया था। पीएम मोदी के इस बयान का विरोध करते हुए पाकिस्तान ने कहा था कि उन्होंने ‘रेड लाइन’ पार की है।