पढ़िए क्या है RBI गवर्नर रघुराम राजन का दर्द, क्या चाहते थे और क्या हुआ ?

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रघुराम राजन

रिज़र्व बैंक के गवर्नर रघुराम राजन ने RBI छोड़ने से पहले गुरुवार को कहा कि वो अपने पद पर कुछ समय और रुकना चाहते थे लेकिन अपने कार्यकाल के बारे में ‘उचित अनुबंध’ नहीं हो सका। राजन तीन साल से इस पद पर हैं और आने वाली 4 सितंबर को उनका सेवाकाल पूरा हो जाएगा। इंडिया टूड़े चैनल पर एक इंटरव्यू के दौरान राजन ने कहा, अधूरे काम को देखते हुए मैं रुकना चाहता था, लेकिन ऐसा हुआ नहीं। बात यहीं खत्म हो गई।’

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इंटरव्यू के दौरान रघु ने असहिष्णुता पर अपने विवादित बयान का भी बचाव किया। उन्होने विभिन्न अवसरों पर ‘लीक से हटकर’ बोलने को लेकर अपनी आलोचनाओं को नकारते हुए उन्होने कहा कि किसी भी सार्वजनिक व्यक्तित्व या हस्ती का यह ‘वैध कर्तव्य‘ तथा ‘नैतिक दायित्व’ बनता है कि वह युवाओं को बताए कि अच्छी नागरिकता क्या होती है।

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RBI के 23वें गवर्नर रघुराम ने कहा कि वो अपने अधूरे कामों को पूरा करने के लिए तीसरा कार्यकाल चाहते थे लेकिन इस बारे में सरकार के साथ उनका ‘उचित अनुबंध’ नहीं हो सका। उन्होने कहा, ‘अनेक जगहों पर अनेक तरह के मतभेद हो सकते हैं। मुझे लगता है कि हमारे बीच समझौता नहीं हो सकता, याद रखें कि मेरा कार्यकाल पूरा हो चुका था इसलिए मुझे एक नया कार्यकाल चाहिए था।’

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दूसरे कार्यकाल को लेकर सरकार के साथ हुई उनकी बातचीत के बारे में राजन ने कहा,‘ हमने बातचीत शुरू की और यह चल ही रही थी कि हमें लगा कि इस मुद्दे पर संवाद को आगे जारी रखने का तुक नहीं है।’ नीतिगत ब्याज दरें ऊंची रखने संबंधी आलोचनों का जवाब देते हुए राजन ने कहा उन्होंने दरों में कटौती के लिए हर उपलब्ध विकल्प का इस्तेमाल किया।