नई दिल्ली : कश्मीर गए प्रतिनिधिमंडल से अलगाववादियों के खराब व्यवहार के कारण केंद्र सरकार को नाराजगी है। अब जम्मू कश्मीर के अलगाववादी नेताओं पर मोदी सरकार ने सख्ती का मन बना लिया है। एबीपी न्यूज की खबर के मुताबिक सूत्रों से पता चला है कि शिकंजा कसने के लिए उनके पासपोर्ट जब्त किए सकते हैं और जेड सिक्योरिटी वापस ली जा सकती है। अलगाववादी नेताओं ने श्रीनगर में मिलने आए सर्वदलीय टीम के साथ खराब बर्ताव किया था और बातचीत में शामिल नहीं हुए थे। उसी के बाद मोदी सरकार सख्ती से पेश आ रही है।
गृह मंत्रालय के उच्च पदस्थ सूत्रों के अनुसार राज्य और केंद्र सरकार हुर्रियत नेताओं की यात्रा, होटल और सुरक्षा पर 100 करोड़ रुपये से अधिक सालाना खर्च करती है। सरकारी पैसे से अलगाववादी फाइव स्टार होटलों में ठहरते हैं और सरकारी गाड़ियों में घूमते हैं। लगभग एक हजार सरकारी सुरक्षाकर्मी सालभर उनकी सुरक्षा में तैनात रहते हैं।मजेदार बात यह है कि सरकार सालाना उनके खाने-पीने के करोड़ों रुपये का बिल भी अदा करती है।इतना ही नहीं यदि अलगाववादी बीमार हो जाएं तो उनका देश-विदेश में इलाज का खर्च भी सरकार उठाती है। लेकिन सरकारी पैसे से ऐशोआराम की जिंदगी जी रहे अलगाववादी नेता हमेशा पाकिस्तान का राग अलापते रहते हैं और युवाओं को भारत के खिलाफ भड़काते हैं। लेकिन अब केंद्र सरकार ने इन अलगाववादियों पर होने वाले खर्च से तौबा करने का मन बना लिया है। केंद्र सरकार ने अपनी ओर से दिए जा रहे खर्च को बंद करने का फैसला कर लिया है और राज्य सरकार को भी ऐसा करने को कह दिया गया है।
श्रीनगर में शांति के लिए बातचीत करने आए सर्वदलीय टीम से बात नहीं करके जम्मू कश्मीर के अलगाववादी नेताओं ने अच्छा नहीं किया अलगाववादी नेता दरवाजे पर आए नेताओं से मिलने को तैयार नहीं हुए थे। सरकार ने अलगाववादियों के बर्ताव का बुरा मान लिया है। अब अलगाववादियों के पांव में बेडियां लगाने की तैयारी है।