सुनामी से निपटने के लिए दुनियाभर के 23 देश ऐसा समाधान खोजने की कोशिश में लगे हैं ताकि समंदर से उठने वाले इस खौफनाक तूफान की वजह से जमीन पर कोई नुकसान ना हो। अक्सर सुनामी के कहर से तटवर्तीय इलाकों में भारी जान और माल का नुकसान होता है। इस नुकसान से निपटने के लिए अब अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर समाधान खोजने की कोशिशें तेज़ हो रही हैं।
एनडीटीवी की खबर के मुताबिक भारतीय तटीय इलाकों में बुधवार यानी आज शुरू हुई सबसे बड़ी सुनामी मॉक ड्रिल के लिए जौरदार तैयारियां की गई हैं, और इसके दौरान हिन्द महासागर में सचमुच बेहद बड़ी और ‘जानलेवा’ सुनामी पैदा की जाएंगी। यूनेस्को (UNESCO) द्वारा संयोजित और हिन्द महासागर में की जाने वाली इस मॉक ड्रिल में कुल मिलाकर 23 देश भाग ले रहे हैं।
आमतौर पर समुद्र की तलहटी में जोरदार भूकंप आने, भूस्खलन होने या कभी-कभी ज्वालामुखी फटने के कारण सुनामी आती है। इन भूगर्भीय घटनाओं की वजह से उत्सर्जित ऊर्जा लहरों की शक्ल में बहुत लंबी दूरी तय करती है, और तटीय इलाकों में भारी तबाही मचाती है। भारत के अधिकतर समुद्रतटीय इलाके में सुनामी आने की आशंका हमेशा बनी रहती है, और इस तरह की मॉक ड्रिल व्यवस्था को अलर्ट रखती हैं, ताकि वास्तव में ऐसी आपात स्थिति पैदा होने पर निपटने में आसानी हो।
पहली ड्रिल बुधवार सुबह 8:30 बजे शुरू हई, जिसके तहत सुमात्रा के दक्षिण में 9.2 तीव्रता वाला भूकंप पैदा किया जा रहा है। वैसे, इस इलाके में वास्तव में भूकंप आने पर जो सुनामी आएगी, उसकी चपेट में अंडमान एवं निकोबार द्वीप समूह और चेन्नई समेत भारत का समूचा पूर्वी तट आ जाएगा।
भूकंपीय घटना को हैदराबाद स्थित अत्याधुनिक इंडियन सुनामी अर्ली वार्निंग सेंटर (भारतीय सुनामी पूर्व चेतावनी केंद्र) में दर्ज किया जाएगा, और 10 मिनट के भीतर ही सेंटर पहली चेतावनी जारी कर देगा।
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