देशभर में पिछले कई दिनों से बीफ बैन को लेकर बहस छिड़ ही है। इसकी वजह है कि देश का एक तबका बिरयानी में गौ मांस के इस्तेमाल के खिलाफ है। जबकि एक खास समुदाय इसके पक्ष है। आलम ये है कि अब ये मुद्दा समाज के गलियारों से निकलकर देश की सबसे बड़ी अदालत तक पहुंच चुका है। दरअसल महाराष्ट सरकार ने राज्य में बीफ को बैन कर दिया है, जबकि महाराष्ट्र के कुरैशी समाज ने महाराष्ट्र में बीफ बैन को चुनौती दी है। वहीं इस लड़ाई में कुछ गैर सरकारी संगठनों भी शामिल हो रहे हैं।
महाराष्ट्र के बाद अब हरियाणा में भी बीफ बैन को लेकर सख्ती की जा रही है। हरियाणा सरकार के बीफ बैन करने के बाद से क्राइम रेट में आई तेजी को रोकना खट्टर सरकार की प्राथमिकता में नहीं है। सरकार यह जांचने में ज्यादा बिजी है कि सड़क किनारे बिक रही बिरयानी गोमांस से तो नहीं बनी। हिंदी दैनिक नवभारत टाइम्स की खबर के मुताबिक राज्य के गोसेवा आयोग ने पुलिस को मुस्लिम बहुल मेवात जिले में दुकानों से बिरयानी के सैंपल लेने को कहा है। पुलिस का काम यह जांचने का है कि कहीं बिरयानी बनाने में गोमांस का प्रयोग तो नहीं हो रहा। आयोग के चेयरमैन भनी राम मंगला ने कहा कि ऐसा काफी शिकायतें आने के बाद किया गया है। लोगों की शिकायतें आ रहीं थीं कि लोकल वेंडर गोमांस से बिरयानी बना रहे हैं।
मेवात के बाद अन्य राज्यों में भी इसी तरह की जांच की जाएगी। इसी महीने बकरीद भी है। मंगला के साथ हरियाणा पुलिस के स्पेशल टास्क डीएसपी भारती अरोड़ा ने पुलिस को गो तस्करी, गोहत्या की जांच करने के काम में लगा दिया है। मंगलवार को पुलिस ने स्थानीय लोगों से बात से बात की और दुकानों से बिरयानी के सैंपल लिए।
जब यह पूछा गया कि केवल बिरयानी के सैंपल ही क्यों लिए जा रहे हैं, मटन करी या कबाब के क्यों नहीं तब मंगला ने बताया कि हमें जो शिकायतें मिली हैं उनके अनुसार दुकान वाले चावल के साथ गोमांस मिला देते हैं और ऐसा बिरयानी में ही किया जा रहा है।
हरियाणा में गोहत्या करने वालों के खिलाफ सख्त सज़ा के प्रावधान
हरियाणा में 2015 में गोहत्या से जुड़े कानून काफी सख्त कर दिए गए थे। इसमें गोहत्या करने पर 10 साल की सजा और गोमांस बेचने पर 5 साल की सजा का प्रावधान है। पुलिस को साफ निर्देश दिए गए हैं कि सैंपल में गोमांस की पुष्टि होने पर तुरंत बेचने वाले को गिरफ्तार कर लिया जाए।