बदलता मौसम लोगों की सेहत बिगाड़ रहा है। राजधानी में डेंगू और चिकनगुनिया का प्रकोप जारी है। हर दिन डेंगू-चिकनगुनिया से पीड़ित मरीजों की मौत की खबरें सामने आ रही हैं। यह बिमारियां महामारी का रूप ले चुकी हैं। अब तक डेंगू से 20 मरीजों की मौत हो गई है, जबकि चिकनगुनिया से 13 मरीजों ने दम तोड़ दिया है।
टाइम्स ऑफ़ इंडिया की एक रिपोर्ट में इन बिमारियों मे दी जा रही दवाईयों को लेकर एक नया खुलासा हुआ है। जिसमें यह निकलकर सामने आया है डेंगू और चिकनगुनिया में दी जा रही सामान्य दर्द निवारक दवाईयों से घातक साइड इफेक्ट्स के केस सामने आ रहे हैं। कई चिकनगुनिया मरीजों को इन दवाओं के बाद किडनी और लीवर डेमेज के केस सामने आए है। ऐसे में मरीजों को अधिक से अधिक सावधानी बरतने की जरूरत है।
सफदरजंग अस्पताल के यूरोलॉजी विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. अनुप कुमार ने बताया, ‘हमारे यहां लगभग 50 बुजुर्ग मरीज है जिनको चिकनगुनिया से पीड़ित होने के बाद जिनके गुर्दे ने काम करना बंद कर दिया है। हमने देखा है कि यह ज्यादा दर्द निवारक दवाईयों की वजह से परेशानियां हो रही है।’
डॉ दिनेश खुल्लर, डायरेक्टर और हेड – गुर्दे प्रत्यारोपण चिकित्सा, मैक्ससुपर स्पेशलिटी अस्पताल, साकेत के पास भी ऐसे 5 केस देखने को मिले जिस पर उन्होंने बताया, ‘हम ज्यादातर केस में रूढ़िवादी उपचार और अस्थायी डायलिसिस करके कामयाब रहे है।’
खुल्लर के अनुसार चिकनगुनिया संक्रमण कभी सीधे गुर्दे की विफलता के साथ जुड़ा नहीं था, इसलिए यह काफी चिंताजनक है। उन्होंने बताया, ‘वायरस के म्यूटेशन एक कारक हो सकता है, लेकिन हमारा सुझाव है कि मरीजों को गुर्दे की बीमारी के लिए अधिक संवेदनशील बर्तनी चाहिए व दर्द निवारक लेना बंद कर देना चाहिए। साथ ही पेशाब करने की मात्रा पर कड़ी नजर रखे। पेशाब की मात्रा में कमी आना गुर्दे की खराबी का संकेत है।