नई दिल्ली। आर्थिक सुधारों के क्षेत्र में महत्वपूर्ण माने जाने वाले वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) को अगले वर्ष एक अप्रैल से लागू करने के लिए मोदी सरकार संसद के शीतकालीन सत्र को समय से पहले बुलाने पर विचार कर रही है, ताकि सीजीएसटी और आईजीएसटी विधेयकों को पारित करा सके। इससे नयी ब्रिकी कर व्यवस्था के लागू होने का मार्ग प्रशस्त होगा।
संसद का शीतकालीन सत्र आमतौर पर नवंबर के तीसरे या चौथे सप्ताह में बुलाया जाता है। सरकार हालांकि इसे नवंबर में ही एक पखवाडे पहले और त्योहारों के मौसम के बाद बुलाना चाहती है।
सूत्रों के अनुसार, संसदीय कार्य मंत्री अनंत कुमार आगामी सत्र को पिछले मानसून सत्र की तरह सफल बनाने के लिए कठिन परिश्रम कर रहे हैं। हालांकि, उन्होंने कहा कि इस मामले में अभी अंतिम निर्णय लिया जाना है, लेकिन सत्र को समय से पहले बुलाये को लेकर काम शुरू कर दिया गया है।
सरकार केंद्रीय जीएसटी (सीजीएसटी) और समन्वित जीएसटी (आईजीएसटी) विधेयकों को जल्द से जल्द पारित कराना चाहती है, ताकि वित्त मंत्रालय को जीएसटी लागू करने के लिए पर्याप्त समय मिल जाएगा।
सीजीएसटी और आईजीएसटी संबंधी दोनों विधेयक मानसून सत्र के दौरान संसद से पास संविधान संशोधन विधेयक के सहयोगी विधान हैं। जीएसटी एक संविधान संशोधन व्यवस्था है जिसके लिए देश के 50 प्रतिशत राज्य विधानसभाओं की मंजूरी जरूरी है जिसे पूरा कर लिया गया है।
इससे पहले इसी महीने राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने विधेयक को मंजूरी दे दी है। पिछले सप्ताह कैबिनेट ने शक्तिशाली जीएसटी परिषद गठित करने को मंजूरी प्रदान की थी जो कर की दरों आदि का निर्धारण करेगी। सीजीएसटी और आईजीएसटी विधेयक का मसौदा माडल जीएसटी विधेयक के आधार पर तैयार किया गया है।