संयुक्त राष्ट्र की सर्वोच्च अदालत ने परमाणु हथियारों की होड़ पर लगाम लगाने में कथित तौर पर नाकाम हुए भारत, पाकिस्तान और ब्रिटेन के खिलाफ मार्शल द्वीपसमूह की ओर से दायर मुकदमा आज (बुधवार) खारिज कर दिया। बहुमत के आधार पर फैसला सुनाते हुए इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस (आईसीजे) की 16 जजों वाली पीठ ने कहा कि ऐसा कोई सबूत नहीं है कि मार्शल द्वीपसमूह का परमाणु शक्ति संपन्न भारत, पाकिस्तान और ब्रिटेन से पहले कभी कोई विवाद रहा हो या उसने इस मुद्दे पर तीनों देशों से कभी कोई द्विपक्षीय वार्ता की मांग की हो।
पीठ की अध्यक्षता कर रहे जज रॉनी अब्राहम ने अलग फैसले में कहा, ‘‘अदालत सभी देशों की ओर से अधिकार क्षेत्र पर जताए गए ऐतराज को बरकरार रखती है’’ और इसलिए न्यायाधिकरण ‘‘इस मामले के गुणदोषों पर आगे की कार्यवाही नहीं कर सकती।’’ साल 1946 से 1958 के बीच मार्शल द्वीपसमूह के प्राचीन प्रवालद्वीपों पर अमेरिका की ओर से उन दिनों कई परमाणु परीक्षण किए गए जब शीत युद्धकाल में हथियारों की होड़ में तेजी आई। द हेग स्थित न्यायाधिकरण में हुई सुनवाई के बाद मार्शल महाद्वीप ने कहा कि वह ‘‘फैसले का अध्ययन’’ करेगा।