नई दिल्ली। वित्त मंत्री अरूण जेटली ने शुक्रवार(21 अक्टूबर) को कहा कि विवाद के जल्द समाधान के लिए पंचाट मामलों में न्यूनतम न्यायिक हस्तक्षेप होना चाहिए। लेकिन जेटली के विचारों से मतभेद जताते हुए भारत के प्रधान न्यायाधीश टी एस ठाकुर ने कहा कि अब इस प्रकार का हस्तक्षेप नहीं होता है।
भारत में पंचाट एवं प्रवर्तन को मजबूत बनाने के विषय पर आयोजि एक सम्मेलन में राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने कहा कि अदालतों को पंचाट मामलों के निस्तारण के लिए एक अलग से तंत्र बनाना चाहिए ताकि तथा उसके हस्तक्षेप के कारण होने वाले विलंब से बचा जाना चाहिए।
मुखर्जी के समक्ष सम्मेलन को संबोधित करते हुए वित्त मंत्री ने कहा कि समझौतों का सम्मान किया जाना चाहिए तथा उन पर फैसला करते समय न्यायिक हस्तक्षेप न्यूनतम या बिल्कुल नहीं होना चाहिए।
बहरहाल, प्रधान न्यायाधीश ने पंचाट मामलों में न्यायिक हस्तक्षेप संबंधी धारणा को सही नहीं बताया। उन्होंने कहा कि ‘‘कुछ वर्गों में यह धारणा है कि इस देश की अदालतें अन्य न्यायक्षेत्रों की अदालत के तुलना में पंचाट फैसलों में अधिक हस्तक्षेप करती हैं।
उन्होंने कहा कि मैं इस अवसर का लाभ उठाते हुए भारत को पंचाट के अनुकूल स्थल बनाने की दिशा में दिये गये कुछ बेहद महत्वपूर्ण फैसलों की ओर ध्यान दिलाना चाहूंगा।’’
































































