सुप्रीम कोर्ट ने सरकारी महकमों में काम करने वाले अस्थाई करमचरियों को राहत देते हुए बुधवार को एक अहम फैसला सुनाया है। जिसके तहत अब अस्थाई करचरियों को भी स्थायी कर्मचारियों के बराबर वेतन मिलना चाहिए।
जस्टिस जेेएस केहर और जस्टिस एसए बोबड़े की पीठ ने ‘समान काम काम के लिए समान वेतन’ का सिद्धान्त पर अमल करते हुए कांट्रैक्ट पर काम कर रहे लाखों कर्मचारियों के हिट में ये फैसला सुनाया है। पीठ ने कहा कि हर हर कर्मचारी को ये अधिकार है कि वो नियमित कर्मचारी के बराबर वेतन पाये।
पीठ ने अपने फैसले में कहा, “हमारी सुविचारित राय में कृत्रिम प्रतिमानों के आधार पर किसी की मेहनत का फल न देना गलत है। समान काम करने वाले कर्मचारी को कम वेतन नहीं दिया जा सकता। ऐसी हरकत न केवल अपमानजनक है बल्कि मानवीय गरिमा की बुनियाद पर कुठाराघात है।”
सुप्रीम कोर्ट का ये फैसला पंजाब सरकार के लिए काम कर रहे एक अस्थाई कर्मचारी की याचिका पर सुनवाई के दौरान आया है। पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट द्वारा नियमित कर्मचारियों के बराबर वेतन दिए जाने की याचिका ठुकराई जाने के बाद पीड़ित कर्मचारी ने सुप्रीम कोर्ट में गुहार लगाई थी।