कोर्ट से लेकर मार्केट तक- रतन टाटा को लग तिहरा झटका

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नई दिल्ली : सायरस मिस्त्री को टाटा संस बोर्ड के चेयरमैन पद से अचानक हटाए जाने से शुरू हुई गहमागहमी के बीच गुरुवार को टाटा ग्रुप को एक साथ तीन झटके लगे। एक ओर दिल्ली हाई कोर्ट ने ताज मानसिंह होटल की नीलामी को हरी झंडी दे दी। तो दूसरी ओर विमानन कंपनियों का संघ एफआईए ने टाटा-एयर एशिया डील के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट चला गया। इधर, टाटा ग्रुप की विभिन्न कंपनियों के शेयरों का गिरना आज तीसरे दिन भी जारी है।

पहले बात ताज मानसिंह होटल की। दिल्ली हाई कोर्ट ने ताज मानसिंह होटल की नीलामी के आदेश पर रोक लगाने की टाटा की अपील ठुकराते हुए नई दिल्ली नगर निगम (NDMC) को इसकी नीलामी की इजाजत दे दी। अब टाटा को होटल का लाइसेंस बरकरार रखने के लिए नीलामी में भाग लेना होगा।

दरअसल, टाटा ग्रुप की सहायक कंपनी इंडियन होटल्स कंपनी लि. (IHCL) ने जस्टिस वी. कामेश्वर राव के 5 सितंबर के उस आदेश के खिलाफ दिल्ली हाई कोर्ट में अपील की थी जिसमें जस्टिस राव ने आईएचसीएल को ताज मानसिंह का लाइसेंस रीन्यू करने इनकार कर दिया था। दिल्ली हाई कोर्ट के आज के आदेश के बाद होटल संचालन के लिए उचित और बाजार के अनुरूप कीमत चुकाने के लिए इसकी नीलामी हो सकेगी। हालांकि, आईएचसीएल के पास सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाने का विकल्प बचा है।

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दरअसल, मामला यह है कि नई दिल्ली म्युनिसिपल कमिटी (NDMC) और आईएचसीएल के बीच 18 दिसंबर 1976 को दिल्ली के बीचोबीच मानसिंह रोड पर एक फाइव स्टार होटल बनाकर इसे संचालित करने को लेकर एक समझौता हुआ था। समझौते के तहत 10 अक्टूबर, 1978 को होटल का कामकाज शुरू हो गया। अब आईएचसीएल का कहना है कि समझौते के मुताबिक यह होटल एनडीएमसी और आईएचसीएल का एक जॉइंट वेंचर है जिसमें दोनों की बराबर की भागीदारी है। हाई कोर्ट ने आईएचसीएल की एस दावे को खारिज कर दिया। ऑरिजनल लाइसेंस 33 साल के लिए दिया गया था जो साल 2010 में खत्म हो गया। हालांकि, लाइसेंस की मियाद कई बार बढ़ा दी गई।

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वहीं, फेडरेशन ऑफ एयरलाइंस (एफआईए) टाटा-एयर एशिया को एविएशन परमिट दिए जाने के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। फेडरेशन का कहना है कि टाटा-एयर एशिया के बीच हुआ समझौता डीजीसीए के नियमों और प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) की नीतियों का उल्लंघन करता है। यह मामला 14 अप्रैल से दिल्ली हाई कोर्ट में अटका पड़ा है। इसलिए फेडरेशन ने देश की सर्वोच्च अदालत से निर्देश देने की दरख्वास्त की है।
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