लगभग एक किलोमीटर बड़ा उल्का पिंड तेज़ी से पृथ्वी की ओर बढ़ रहा है। उम्मीद है कि ये उल्का पिंड अगले हफ्ते पृथ्वी से टकराएगा। पृथ्वी के जिस भी क्षेत्र से ये उल्का पिंड टकराएगा वहां मानव जाति का नामोनिशान मिट जाएगा। पूरा शहर जल कर खाक़ हो जाएगा। इस उल्का पिंड का नाम 2016-एफआई है। वैज्ञानिक इस उल्कापिंड पर बराबर निगाह रखे हुए हैं।
ये ख़बर कितनी सच है और कितनी झूठ, इस बारे में ना आपको ज्यादा पता होगा और ना ही किसी और को। लेकिन इस तरह खबरें वायरल होते देर नहीं लगती। हकीकत में ना तो ऐसा कोई उल्का पिंड है और ना ही वो पृथ्वी की ओर आ रहा है।
कोलंबिया विश्वविद्यालय और फ्रैंच नेशनल इन्स्टीट्यूट के कम्प्यूटर साइंटिस्ट स्टडी में ये बात सामने आई है कि 59 फीसदी लोग इस तरह की वायरल खबर को बगैर क्लिक किए और बगैर उसके बारे में जानकारी जुटाए ही उसे सोशल मीडिया पर शेयर करने लगते हैं। स्टडी में ये बात भी सामने आई है कि कई लोग इसे पढ़ते भी नहीं हैं बस हैडर देखा और शेयर कर दिया।
जाहिर है कि अफवाहें इसी तरह फैलती हैं। इसलिए अगर आपके पास ऐसी कोई ख़बर आती है तो पहले उसे पढ़ें, जानें और फिर शेयर करें।
स्टडी टीम का हिस्सा रहे अर्नाड लेगआउट का कहना है कि ‘लोग पढ़ने की अपेक्षा ऐसे आर्टिकल शेयर करना पसंद करते हैं। लोग सारांश के आधार पर अपनी राय बना लेते हैं। वो उसकी तह में नहीं जाना चाहते।‘
जाहिर है कि ये समाज से लिए ज्यादा ख़तरनाक है। जानकारी दूसरों तक पहुंचाएं, ये बेहतर है लेकिन पहले खुद उसके बारे में जान लें।