SC नें कहा- स्कूलों में जबरन योग नही करवाया जा सकता

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सुप्रीम कोर्ट SC के चीफ जस्टिस ने वकील से सवाल पूछ कर बोला की क्या आप योग करते हैं,इतने प्रदूषण में कोई योग कैसे कर सकता हैं। सवाल उस वकील से थे जो स्कूलों में योग की शिक्षा को अनिवार्य बनाने की मांग कर रहे थे।

SC के चीफ जस्टिस ने आगे कहा कि स्कूलों में क्या सिखाया जाए ये तय करना सरकार का काम है। ये काम अदालत का नहीं है। कोई योग करना चाहता है तो करने को आज़ाद है। उसे ऐसा करने से रोकना उसके मौलिक अधिकार का हनन होगा। ऐसी स्थिति में कोर्ट ज़रूर दखल दे सकता है। हालांकि, कोर्ट का ध्यान इस ओर दिलाया गया कि वो पहले ही मिलते-जुलते मामले में केंद्र सरकार और दूसरे पक्षों को नोटिस जारी कर चुका है। इस मामले की सुनवाई 29 नवंबर को होनी है। इस पर कोर्ट ने इस याचिका को भी सुनने पर सहमति जताते हुए कहा कि दोनों मामलों को साथ सुना जाएगा।

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याचिकाकर्ता की तरफ से पेश हुए वरिष्ठ वकील एम एन कृष्णमणि से चीफ जस्टिस ने पूछा  कि आपने आखिरी बार योग कब किया था। कृष्णमणि की तरफ से जवाब न आने पर चीफ जस्टिस ने चुटकी लेते हुए कहा कि लगता है आप सिर्फ शवासन करते हैं। गौरतलब है कि शवासन एक ऐसा आसन है जिसमें शव की मुद्रा में लेट कर शरीर और दिमाग को आराम दिया जाता है।

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