जानें बीजेपी के कांग्रेस मुक्त नॉर्थ ईस्ट के सपने को किसने दिया झटका

अरुणाचल का सीएम पद छोड़ने का एलान करने वाले नवाम तुकी ने कहा, ‘सीएलपी का फैसला बीजेपी के चेहरे पर अंडे जैसा है

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नई दिल्ली। अरुणाचल मुद्दे पर बीजेपी की काफी फजीहत हो रही है। शनिवार को कांग्रेस के विद्रोही खेमे की पार्टी में वापसी और नए कांग्रेसी सीएम का चुनाव सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद बीजेपी को लगने वाला लगातार दूसरा बड़ा झटका है। ऐसा इसलिए भी अहम है क्‍योंकि जब बीजेपी ने चार दिन पहले ही ‘कांग्रेस मुक्‍त नॉर्थ ईस्‍ट’ का नारा दिया है। अरुणाचल का सीएम पद छोड़ने का एलान करने वाले नवाम तुकी ने कहा, ‘सीएलपी का फैसला बीजेपी के चेहरे पर अंडे जैसा है, जो हमारी सरकार को हर कोशिश करके अस्‍थ‍िर करने की कोशिश कर रही थी। बीजेपी ने आखिरी क्षणों तक हर कोशिश की, लेकिन हमारे विधायकों को सच का एहसास हुआ और वे पार्टी में लौट आए।’

तुकी ने आरोप लगाया कि बीजेपी हर कोशिश करके कांग्रेस सरकार को हटाने और अपनी सरकार बनाने की कोशिश कर रही है। तुकी ने कहा, ‘पार्टी ने हमारे कुछ विधायकों को लालच देकर पहले ही बैकडोर एंट्री कर ली थी। उन्‍होंने असंवैधानिक और गैरकानूनी ढंग से सरकार भी बना ली थी। अपनी सरकार कायम करने की बेताबी में उन्‍होंने राज्‍यपाल के ऑफिस का भी गलत इस्‍तेमाल किया। उन्‍होंने कांग्रेसमुक्‍त नॉर्थईस्‍ट का नारा भी दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को जहां ऐतिहासिक फैसला दिया, हमारे देशभक्‍त विधायकों ने बीजेपी के जाल से वापस निकल आने और पार्टी में शामिल होने का फैसला किया।’ बता दें कि बीजेपी ने बुधवार को नॉर्थ ईस्‍ट डेमोक्रेटिक एलायंस का पहला कॉन्‍क्‍लेव बुधवार को गुवाहाटी में रखा था। इस गठबंधन में 10 के करीब क्षेत्रीय पार्टियों को शामिल किया गया है। बीजेपी ने कांग्रेस मुक्‍त नॉर्थईस्‍ट के अभियान का भी ऐलान किया।

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कांग्रेस के 30 विद्रोही एमएलए ने तीन मार्च 2016 को पीपुल्‍स पार्टी ऑफ अरुणाचल (पीपीए) ज्‍वाइन कर ली थी। वे कलिखो पुल की अगुआई में नॉर्थ ईस्‍ट डेमोक्रेटिक एलायंस (NEDA) के कॉन्‍क्‍लेव में भी शामिल हुए। हालांकि, इस कॉन्‍क्‍लेव के लिए सुप्रीम कोर्ट का फैसला एक तगड़ा झटका साबित हुआ। शनिवार को विद्रोही विधायक बीजेपी के साथ हनीमून खत्‍म करके कांग्रेसी धड़े में लौट आए। ये विधायक बीजेपी वाले धड़े को 16 दिसंबर 2015 से बाहर से समर्थन दे रहे थे। इसी दिन राज्‍यपाल जेपी राजखोवा के आह्वान पर राज्‍य असेंबली का स्‍पेशल सेशन बुलाया गया था। सुप्रीम कोर्ट ने इन 30 विधायकों के पीपीए से जुड़ने को कानूनी तौर पर अवैध करार दिया था।

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दिलचस्‍प बात यह है कि बुधवार को सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद दोबारा से सीएम पद पर काबिज होने वाले नवाम तुकी यह दावा करने लगे कि वे कलिखो पुल की अगुवाई वाले विद्रोही गुट के संपर्क में हैं। वहीं, नॉर्थ ईस्‍ट डेमोक्रेटिक एलायंस के कन्‍वीनर और असम बीजेपी के सीनियर लीडर हेमंता बिस्‍वा शर्मा ने गुरुवार को ट्वीट करके कहा, ‘ अरुणाचल प्रदेश के सभी 41 विधायक साथ हैं ताकि वे शक्‍त‍ि परीक्षण में नवाम तुकी को हरा सकें।’ NEDA का कॉन्‍क्‍लेव बुधवार को हुआ, जिसमें बीजेपी के अध्‍यक्ष अमित शाह और तत्‍कालीन अरुणाचल प्रदेश के सीएम कलिखो पुलिस भी शामिल हुए थे। हालांकि, नवाम तुकी को फिर से बतौर सीएम कायम करने से जुड़े सुप्रीम कोर्ट के फैसले ने कलिखो पुल को पद से खारिज कर दिया। पुल बतौर सीएम अमित शाह, दूसरे सीनियर बीजेपी लीडर और प्रदेश के तीन गैर कांग्रेसी सीएम के साथ मंच साझा कर रहे थे।

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