प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है कि नोटबंदी के बाद बेईमान लोग बैंक में पैसा जमा करवाने के बावजूद नहीं बच सकेंगे और आयकर विभाग के लोग उनतक किसी ना किसी तरह पहुंच ही जाएंगे। लेकिन यह काम इतना आसान नहीं होने वाला। यह खुद आयकर विभाग के लोगों का मानना है। देशभर में कुल 40 करोड़ बैंक खाते हैं। अगर उनमें से एक प्रतिशत अकाउंट भी ‘संदिग्ध’ पाए गए तो उसका मतलब होगा कि आयकर विभाग ऑफिसरों को 40 लाख केस हैंडल करने होंगे। आयकर विभाग के लोगों का खुद कहना है कि ऐसा इतिहास में पहली बार होगा। लेकिन यह आसान इसलिए नहीं होगा क्योंकि इससे आयकर विभाग में काम करने वाले लोगों पर भार बहुत ज्यादा बढ़ेगा। आयकर विभाग में लगभग आठ हजार कर्मचारी हैं जिन्हें यह जिम्मा सौंपा जा सकता है लेकिन फिलहाल उनमें से चार हजार ही उपलब्ध हैं। क्योंकि बाकी चार हजार लोग साल 2014-15 के बीच का काम कर रहे हैं।
नोटबंदी की डेडलाइन 30 दिसंबर को खत्म हो जाएगी। आशा है कि उससे अगले दिन तक आईटी विभाग अपना काम खत्म कर लेगा। सरकार ने बैंकों को निर्देश दिया हुआ है कि जिन जनधन खातों में 50,000 रुपए से ज्यादा, बचत खाते में 2,50,000 रुपए से ज्यादा और चालू खाते में 12.5 लाख रुपए से ऊपर जमा हुए हैं उनकी लिस्ट आईटी विभाग को देनी है। आईटी विभाग ने एक अनुमान के हिसाब से बताया है कि वह हर साल लगभग 3,20,000 केस छानबीन के लिए लेते हैं। यानी चार हजार जो कर्मचारी मौजूद हैं उनमें से प्रति अधिकारी के पास 80 केस आते होंगे। लेकिन 40 लाख केसों को निपटाने का मतलब होगा कि अपने काम का 12.5 गुना और ज्यादा काम करना।
ऐसे होगा काम: इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत के दौरान एक सीए ने बताया कि सबसे पहले लिस्ट बनाई जाएगी। फिर उन लोगों को नोटिस भेजा जाएगा। नोटिस भेजने के बाद विभाग को सभी लोगों के जवाब का इंतजार करना होगा। फिर सभी 40 लाख लोगों के जवाब को पढ़ना होगा। फिर शुरुआती जांच के बाद रिपोर्ट को आगे ऑफिसर के पास भेजा जाएगा।