मोदी सरकार ने विरल वी. आचार्य को रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) का नया डिप्टी गवर्नर अप्वॉइंट किया है। केन्द्रीय मंत्रिमंडल नियुक्ति समिति ने तीन साल के लिये उनकी नियुक्ति को मंजूरी दे दी। आचार्य ऐसे समय रिजर्व बैंक के डिप्टी गवर्नर नियुक्त किये गये हैं जब नोटबंदी के बाद नियमों में बार बार बदलाव को लेकर केन्द्रीय बैंक की आलोचना की जा रही है। क्योंकि उस पद पर पहले मौजूद उर्जित पटेल को गवर्नर बना दिया गया था।
विरल के अप्वॉइंटमेंट का फैसला बुधवार को कैबिनेट की अप्वॉइंटमेंट्स कमेटी ने किया। उनका अप्वॉइंटमेंट ऐसे वक्त हो रहा है जब नोटबंदी के बाद RBI को लगातार नियम बदलने के चलते आलोचनाओं का सामना करना पड़ रहा है।
विरल आचार्य खुद को गरीबों का रघुराम राजन बताते थे, उनकी इच्छा थी कि अगर उन्हें RBI में अच्छा पद और मौका दिया गया तो वो गरीबों का मसीहा बनकर दिखाएंगे। वैसे भी विरल RBI के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन के बड़े प्रशंसक हैं।
एक बार उन्होंने राजन को अपने लिए इंस्पिरेशनल पर्सनैलिटी भी बताया था।
2013 में डचेस बैंक प्राइज प्रोग्राम में विरल ने एक घटना का जिक्र किया था। उनके मुताबिक- किसी ने मुझसे पूछा कि क्या मैं रघुराम राजन हूं? उस वक्त मेरे हाथ में बैंकिंग क्राइसिस से जुड़े पेपर्स थे। विरल मजाक में कहते हैं- उस दिन मुझे महसूस हुआ कि अगर मैं राजन का पांच या दस फीसदी भी हो सका तो गरीबों का ‘रघुराम राजन’ बन सकता हूं। राजन की तरह विरल भी RBI की आजादी के फेवर में हैं। वो चाहते हैं कि देश का ये सबसे बड़ा बैंक लोकतांत्रिक तौर पर जिम्मेदार भी हो। इसे सियासत से दूर रखा जाना चाहिए।
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