भारत परमाणु अप्रसार संधि पर हस्ताक्षर नहीं करेगा- सुषमा स्वराज

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मोदी सरकार ने एक बार फिर से स्पष्ट करते हुए कहा कि भारत एनपीटी यानि की परमाणु अप्रसार संधि पर कभी भी साइन नहीं करेगा। सरकार ने कहा कि भारत हमेशा से निरस्त्रीकरण के लिए प्रयासरत रहा है ऐसे में भारत के लिए यह आवश्यक नहीं है।
लोकसभा में सांसद सुप्रिया सुले, सौगत बोस के पूरक प्रश्न के उत्तर में विदेशमंत्री सुषमा स्वराज ने सदन को यह भरोसा दिलाया। उन्होंने कहा कि भारत की परमाणु आपूर्ति समूह (एनएसजी) में सदस्यता पर चीन ने बाधा खड़ी की। उसने सवाल उठाया कि एनपीटी पर हस्ताक्षर नहीं करने वाला देश एनएसजी का सदस्य कैसे बन सकता है? हम इस मुद्दे पर चीन के मदभेद दूर करने के प्रयास कर रहे हैं।
स्वराज ने कहा, समूह ने 2008 में असैन्य परमाणु संबंधी जो छूट दी थी, उसमें एनपीटी का सदस्य बने बिना ही इसे आगे बढ़ाने की बात कही गई थी। उन्होंने कहा, हम एनपीटी पर कभी हस्ताक्षर नहीं करेंगे। हम इसके लिए पूर्व की सरकार को भी श्रेय देते हैं। 2008 के बाद से छह वर्ष इस प्रतिबद्धता को पूर्व की सरकार ने पूरा किया और इसके बाद वर्तमान सरकार इस प्रतिबद्धता को पूरा कर रही है। लेकिन निरस्त्रीकरण इसके लिए हमारी पूर्ण प्रतिबद्धता है। सुषमा ने कहा कि एनएसजी का सदस्य बने बिना संवेदनशील प्रौद्योगिकी हस्तांतरण नहीं हो सकता।
आगे सुषमा ने कहा कि एनएसजी की सदस्यता नहीं मिलने से हमारी कूटनीतिक विफल नहीं हो गई है। विदेशमंत्री ने कहा, एक बार सफलता नहीं मिले तो इसे कूटनीतिक विफलता नहीं, बल्कि आगे सफलता का रास्ता माना जाता है। पहले यह कहा जाता था कि क्या भारत एनएसजी का सदस्य बन पाएगा और अब यह पूछा जाने लगा है कि भारत एनएसजी का सदस्य कब तक बनेगा।

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