उत्तर प्रदेश विधान सभा चुनाव के लिए बीजेपी द्वारा एक भी मुस्लिम उम्मीदवार को टिकट न दिए जाने को लेकर पार्टी के एक मुस्लिम नेता जिन्होंने बीजेपी की टिकट पर 2012 में चुनाव लड़ा था कई सवाल खड़े किए हैं। शकील आलम सैफी नाम के उस शख्स ने कहा कि वह मुसलमानों को किस मुंह से कहें कि वे बीजेपी को वोट दें जबकि पार्टी ने किसी एक मुस्लिम को पार्टी से टिकट नहीं दिया है। बता दें, सैफी 2002 से अबतक सिर्फ इकलौते मुस्लिम उम्मीदवार हैं जिन्हें बीजेपी से टिकट मिला।
जनसत्ता की खबर के अनुसार, सैफी ने कहा, ‘अगर पार्टी कुछ मुस्लिम उम्मीदवारों को टिकट दे देती तो मैं कुछ बोलने के लायक रहता। लेकिन अब उन मुसलमानों से वोट मांगना काफी मुश्किल है। मैं उनसे कैसे कहूं कि बीजेपी को वोट दो?’
सैफी ने आगे कहा, ‘यह सच है कि मुस्लिम बीजेपी को वोट नहीं करते। लेकिन बीजेपी भी उन लोगों के वोट लेने की कोशिश नहीं करती। यूपी में 403 सीटें हैं, बीजेपी को भी पता है कि वह जीतने नहीं वाली फिर उन्होंने कुछ मुसलमानों को टिकट देकर चांस क्यों नहीं लिया।’
गौरतलब हों कि, 52 साल के सैफी ने 2012 में बदायूं जिले की साहसवन सीट से चुनाव लड़ा था। उस चुनाव में सैफी की जमानत जब्त हो गई थी। लेकिन इस पर सैफी ने अपने बचाव करते हुए कहा कि उस चुनाव में बीजेपी के 229 उम्मीदवारों की जमानत जब्त हो गई थी। सैफी बीजेपी के अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ की राष्ट्रीय कार्यकारिणी में हैं। सैफी ने बताया कि उन्होंने मुस्लिम बहुल भिलारी सीट से टिकट की मांग की थी लेकिन उन्हें साइड कर दिया गया।
हालांकि, सैफी ने यह भी कहा कि उन्होंने पार्टी के निर्णय का विरोध नहीं किया है क्योंकि उन्हें मुस्लिम होने के बावजूद पार्टी के विचार अच्छे लगते हैं।