एक तरह जहां डॉनल्ड ट्रंप ‘अमेरिका फर्स्ट’ कहकर मुक्त बाजार व्यवस्था को नियंत्रित करने की बातें कर रहे हैं, तो वहीं दुनिया के बाकी कई देशों के नेता यह सुनिश्चित करने में जुटे हैं कि कारोबार और व्यापार के क्षेत्र से जुड़ी ट्रंप की धमकियों का करारा जवाब दिया जाए। ट्रंप ने कहा था कि जर्मनी और जापान विदेशी मुद्रा विनिमय के बाजार को प्रभावित कर अपने हित में व्यापार के नियम तय कर रहे हैं। इसपर प्रतिक्रिया करते हुए जापान के प्रधानमंत्री शिंजो आबे और जर्मन चांसलर एंजेला मर्केल साथ आ गए हैं। ऐसा लग रहा है कि ट्रंप का विरोध दुनिया के कई राष्ट्राध्यक्षों को एक-दूसरे के साथ खड़ा कर रहा है।
यूरोपियन काउंसिल में विदेशी संबंधों के निदेशक मार्क लेनर्द ने कहा, ‘ट्रंप के साथ एक बहुत बड़ा टकराव खड़ा होने जा रहा है। ट्रंप अपने ‘अमेरिका पहले’ के अजेंडे को आगे बढ़ाने के लिए चीन और बाकी देशों के साथ बेमतलब के जियोपॉलिटिकल मनमुटाव को उकसा रहे हैं।’ ट्रंप कार्यकाल के शुरुआती दिनों में ही ये झगड़े और विवाद शुरू हो गए हैं। इतना ही नहीं, ट्रंप के अब तक के कार्यकाल पर विवाद ही हावी दिख रहे हैं। इनके कारण वैश्विक व्यापार और करंसी में तनाव बढ़ने के आसार भी साफतौर पर दिख रहे हैं। इस तनाव का प्लॉट खुद ट्रंप ने ही तैयार किया है। इसके कारण दशकों पुराने व्यापारिक संबंध दांव पर लग गए हैं। ट्रंप प्रशासन की ओर से दिए गए संकेतों से लगता है कि अब अमेरिका बहुपक्षीय समझौतों की जगह पर द्विपक्षीय संधियों को ज्यादा तरजीह देगा। इन आशंकाओं के मद्देनजर विश्व के बाकी राष्ट्राध्यक्ष अपने-अपने हितों को देखते हुए अपने लिए नए गठबंधन और समीकरण तलाशने में जुट गए हैं।