नई दिल्ली : सार्क के नए महासचिव के समर्थन, पाकिस्तान के मछुआरों की रिहाई और लाहौर में इस माह के आखिर में होने वाली सिंधु आयोग की बैठक में सिंधु आयुक्त को भेजने के भारत के इन फैसलों से आम तौर पर लग रहा है कि दोनों देशों के बीच रिश्तों की कड़वाहट कुछ कम हो रही है। हालांकि भारत और पाकिस्तान के बीच रिश्तों की तल्खी में आतंकवाद अभी भी मुख्य मुद्दा बना रहेगा।
सरकार के एक वरिष्ठ सूत्र ने कहा कि भारत पाकिस्तान समर्थित आतंकवादी गतिविधियों पर नजर रखे रहेगा और इसी के आधार पर वह अपने अगले कदम का फैसला लेगा। सीमा के ऊपरी इलाकों में बर्फ पिघलने के साथ-साथ भारत पाकिस्तान के आतंकवादियों द्वारा घुसपैठ के प्रयासों और घाटी में अशांति फैलाने के उसके प्रयासों पर नजरें बनाए रहेगा।
बीते साल घाटी में कई उग्र प्रदर्शन हुए जिनके पीछे सूत्रों का कहना है कि पाकिस्तान का हाथ होने की जानकारी मिली थी। इसके साथ ही पिछले साल भारत को पठानकोट, उरी और नागरोटा में आतंकवादी हमले झेलने पड़े थे। इन आतंकवादी हमलों में भी पाकिस्तानी कनेक्शन सामने आया था।
भारत हालांकि इस मामले पर शांत रहकर दोनों देशों के बीच की तल्खी को और नहीं बढ़ना चाहता। इसीलिए बैठकें और कैदियों की अदला-बदली सामान्य रूप से चलते रहेंगे। इससे बिना किसी ठोस बातचीत के भारत और पाकिस्तान के बीच रिश्तों की कड़वाहट में कमी आएगी।
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