पांच राज्यों के चुनावी नतीजों के बाद ईवीएम विवाद लगातार तूल पकड़ता जा रहा है। कुछ राजनीतिक दल EVM की विश्वसनीयता पर सवाल खड़े कर रहे हैं तो चुनाव आयोग ने भी साफ तौर पर ईवीएम में किसी भी तरह की छेड़छाड़ से इनकार किया है। यहां तक कि आयोग ने सवाल उठाने वाले राजनीतिक दलों को EVM में किसी भी तरह की छेड़छाड़ करनी की खुली चुनौती तक दे डाली है।
साल 1997 में पहली बार EVM से तमिलनाडु विधानसभा चुनाव कराने वाले पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त एम एस गिल ने दो-टूक कहा कि EVM तब भी सबसे ज़्यादा सुरक्षित थी और अब भी, बस सवाल उठाने वाले बदल गए हैं। उन्होंने कहा कि EVM ने जब सत्ता में बैठाया तो EVM अच्छी और सच्ची थी अगर हार गए तो EVM बेकार और झूठी हो गई।
कांग्रेस नेता एम एस गिल ने कहा जब वो मुख्य चुनाव आयुक्त थे तो 1997 में पहली बार EVM से चुनाव हुए थे, तब जयपुर में EVM की गुणवत्ता और जनता में मुहर बनाम मशीन पर प्रतिक्रिया जानने खुद सड़कों पर उतरे थे। गली के नुक्कड़ों पर तम्बू लगाकर महिलाओं को बुला-बुलाकर कहते थे कि जाओ जाकर नये तरीके से वोट डालकर आओ। तब जाकर वोटरों का अनुभव जान पाते थे। इन 20 सालों में EVM की गुणवत्ता और सुरक्षा और मज़बूत हुई है।