कश्मीर: क्या अफस्पा को कमजोर करना राष्ट्रीय सुरक्षा के साथ खिलवाड़ करना है ?

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अफस्पा
फोटो साभार

केंद्र सरकार ने बारह अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट में एक क्यूरेटिव पिटीशन दाखिल की है. सरकार की ये याचिका विवादित आर्म्ड फोर्सेज स्पेशल पावर्स एक्ट यानी अफस्पा को लेकर है. इसे लेकर मानवाधिकार कार्यकर्ता और खुद को लिबरल कहने वाले लोग काफी नाराजगी जता रहे हैं.पिछले साल अदालत ने कहा था कि, ‘अगर सेना ने कोई अपराध किया है तो उसे मुकदमे का सामना करने से पूरी तरह से छूट नहीं दी जा सकती.’ लेकिन अब सरकार चाहती है कि अदालत अपने इस फैसले पर फिर से विचार करे. क्योंकि सरकार को लगता है कि आतंकवाद और अलगाववाद से लड़ने के लिए सुरक्षा बलों को कुछ खास अधिकार चाहिए. अदालत का ये फैसला सुरक्षा बलों को वो अधिकार देने की राह में रोड़ा है.

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अटार्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने कोर्ट से अपील की कि ये मामला न सिर्फ सुरक्षा बलों के लिए अहम है बल्कि देश की सुरक्षा और संप्रभुता के लिए भी जरूरी है. क्योंकि सुरक्षा बल बेहद खतरनाक हालात में देश की रक्षा की जिम्मेदारी निभाते हैं. एमनेस्टी इंटरनेशनल के भारत में एक्जीक्यूटिव डायरेक्टर आकार पटेल ने कहा कि, ‘ये परेशान करने वाली बात है कि सरकार को लगता है कि लोगों के बुनियादी हक का सम्मान करने से सुरक्षा बल अपना काम ठीक से नहीं कर पाएंगे. ‘तो क्या सरकार मानवाधिकारों के उल्लंघन की जिम्मेदारी से सुरक्षा बलों को पूरी तरह आजाद करना चाहती है? क्या वो स्वतंत्र और निष्पक्ष जांच के भी खिलाफ है?’

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आपको बता दें आर्म्ड फोर्सेज स्पेशल पावर्स एक्ट को सबसे पहले 1958 में मणिपुर में लागू किया गया था. 1990 में इसे संसद की मंजूरी से जम्मू-कश्मीर में भी लागू किया गया. तभी से ये बहस चली आ रही है कि राष्ट्रीय सुरक्षा को तरजीह दी जाए या नागरिकों के अधिकारों को. अफस्पा के तहत सेना और अर्धसैनिक बलों को कुछ अधिकार मिलते हैं जो न्यायिक समीक्षा के दायरे से बाहर हैं. जिन इलाकों या राज्य को सरकार अशांत घोषित करती है उन्हीं इलाकों में तैनात सुरक्षा बलों को ये खास अधिकार मिलते हैं. इस कानून के तहत सेना के अफसरों या जूनियर कमीशंड अफसरों को किसी को भी गोली मारने का अधिकार होता है. अगर उन्हें ये लगता है कि उस शख्स या लोगों की भीड़ से कानून व्यवस्था बिगड़ सकती है.सुरक्षा बल इस कानून से मिले अधिकार के तहत आतंकियों के अड्डों, हथियारों के जखीरे को तहस-नहस कर सकते हैं. सुरक्षा बल आतंकियों ट्रेनिंग कैंप या छुपने के ठिकानों को भी तबाह कर सकते हैं. वो ऐसे किसी भी शख्स को गिरफ्तार कर सकते हैं जिसने अपराध किया हो या जिसके जुर्म करने का अंदेशा हो.

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