दिल्ली
लंबे समय से अटके पड़े वस्तु एवं सेवाकर :जीएसटी: विधेयक पर केन्द्र और राज्यों के बीच आज महत्वपूर्ण मुद्दों पर बात आगे बढ़ी है। दोनों पक्षों में इस सिद्धांत पर सहमति बनी है कि जीएसटी दर मौजूदा स्तर से कम रहनी चाहिये और मोटे तौर पर यह सहमति भी उभरी है कि जीएसटी दर का उल्लेख संविधान संशोधन विधेयक में नहीं किया जायेगा। वित्त मंत्री अरण जेटली के आह्वान पर बुलाई गई राज्यों के वित्त मंत्रियों की प्राधिकृत समिति की आज हुई बैठक में यह सहमति बनी है। इस बात पर भी सहमति बनी है कि जीएसटी लागू होने के पहले पांच साल के दौरान राज्यों को राजस्व नुकसान होने की स्थिति में उसकी भरपाई की प्रणाली की भी व्यवस्था की जानी चाहिये।
उल्लेखनीय है कि जीएसटी के लागू होने पर केन्द्र और राज्यों में लगने वाले अप्रत्यक्ष करों को इसमें समाहित कर लिया जायेगा।
राज्यों के वित्त मंत्रियों की प्राधिकृत समिति के चेयरमैन और पश्चिम बंगाल के वित्त मंत्री अमित मित्रा ने बैठक के बाद कहा कि इस बारे में व्यापक सहमति बनी है कि साधारण व्यवसायी और आम करदाता को जीएसटी की शुरआत से फायदा होना चाहिये और इसके लिये कर की दर कम रहनी चाहिये। इसके साथ ही इस बात का भी ध्यान रखा जायेगा कि राज्यों को इससे राजस्व का नुकसान नहीं होना चाहिये।
मित्रा ने दावा किया कि बैठक में इस बात पर भी सहमति बनी है कि जीएसटी दर को संविधान संशोधन विधेयक का हिस्सा नहीं होना चाहिये।
सरकार संसद के चालू मानसून सत्र में ही जीएसटी विधेयक को पारित कराना चाहती है। यह सत्र 12 अगस्त को समाप्त हो रहा है। जीएसटी विधेयक राज्यसभा में अटका पड़ा है जहां कांग्रेस पार्टी की तरफ से उसे कड़े विरोध का सामना करना पड़ रहा है। कांग्रेस जीएसटी की दर को कम रखने और दर का संविधान संशोधन विधेयक में उल्लेख करने पर जोर दे रही है। इसके साथ ही कांग्रेस यह भी चाहती है कि राज्यों को जो एक प्रतिशत अतिरिक्त कर लगाने का अधिकार दिया जा रहा है उसे समाप्त किया जाना चाहिये।
मित्रा ने बैठक के बाद कहा, ‘‘जैसा कि आप जानते हैं कि संविधान में कर दर का उल्लेख नहीं किया जाता है। इस पर विचार किया गया है और इस निष्कर्ष पर पहुंचा गया कि केन्द्रीय वित्त मंत्री अन्य पार्टियों को इससे अवगत करायेंगे। वह उन्हें बतायेंगे कि यह संविधान संशोधन विधेयक में नहीं आयेगा लेकिन यह जीएसटी विधेयक अथवा जीएसटी कानून में आ सकता है।’’ उन्होंने कहा कि कुल मिलाकर जो व्यापक सहमति बनी है वह सभी राजनीतिक दलों और सभी राज्यों के लिये संतोषजनक है। इसके साथ ही राज्यों के लिये राजस्व नुकसान की भरपाई के वास्ते पुख्ता तरीके से शब्दों का चयन कर लिया गया है।
ऐसे संकेत हैं कि राज्यों की इस बैठक के बाद सरकार जीएसटी विधेयक को राज्यसभा में अगले सप्ताह पेश कर सकती है। इससे पहले इसे इसी सप्ताह पेश किये जाने की योजना थी।
मित्रा ने कहा कि बैठक में जीएसटी की किसी खास दर के बारे में कोई बातचीत नहीं हुई लेकिन इस बारे में सहमति बनी है कि दर ऐसी होनी चाहिये जो कि मौजूदा स्तर से कम हो अन्यथा इन सुधारों को कोई मतलब नहीं है
मित्रा ने कहा कि राज्यों का कहना है कि डेढ करोड़ रपये तक का कारोबार करने वाले छोटे व्यवसायियों पर केवल राज्य सरकार का नियंत्रण होना चाहिये। इससे अधिक कारोबार करने वाले व्यवसायी कारोबारी केन्द्र और राज्य दोनों के दायरे में रह सकते हैं।
जीएसटी संविधान संशोधन विधेयक को संसद में दो तिहाई बहुमत से पारित करने के बाद दोनों सदनों को एक और जीएसटी विधेयक को पारित करना होगा। विधेयक में केन्द्र सरकार ने पहले तीन साल तक राज्यों को 100 प्रतिशत, अगले साल में 75 प्रतिशत और उससे अगले साल में 50 प्रतिशत राजस्व की भरपाई करेगी। हालांकि, राज्यसभा की प्रवर समिति ने पांच साल तक राजस्व नुकसान की 100 प्रतिशत भरपाई की सिफारिश की है।
राज्यों के वित्त मंत्रियों की प्राधिकृत समिति की आज की बैठक काफी महत्वपूर्ण थी। केन्द्र सरकार कांग्रेस पार्टी की तीन महत्वपूर्ण मांगों पर सहमति बनाने का प्रयास कर रही है। कांग्रेस की तीन मांगों में जीएसटी दर की अधिकतम सीमा का संविधान में उल्लेख भी शामिल है। मित्रा ने कहा कि आज कर की प्रभावी दर काफी ज्यादा है और इस बारे में सभी सहमत थे कि जीएसटी के अमल में आने के साथ ही कर दरों में कमी आनी चाहिये।
एक प्रतिशत अतिरिक्त कर को समाप्त करने की कांग्रेस की मांग के बारे में पूछे जाने पर मित्रा ने कहा, ‘‘जीएसटी में जो कुछ है वह आपको पता है। इसलिये इस बारे में मेरे कहने के लिये कुछ खास नहीं है।’’ वित्त मंत्री अरण जेटली इससे पहले एक प्रतिशत अतिरिक्त कर को समाप्त करने के बारे में अपनी तरफ से संकेत दे चुके हैं। इस संबंध में मुख्य आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रमण्यम के नेतृत्व वाली समिति ने भी सुझाव दिया था।
केरल के वित्त मंत्री थॉमस आईजैक ने कहा कि जीएसटी राजस्व निरपेक्ष दर पर विचार विमर्श हुआ और आम सहमति यही थी कि संविधान संशोधन में इस धारणा को छोड़ दिया जाये। उन्होंने कहा कि राज्य वित्त मंत्रियों की और बैठकें होंगी।
मित्रा ने इस बैठक को काफी रचनात्मक बताया और कहा कि बैठक में सभी प्रमुख राज्यों के वित्त मंत्री उपस्थित थे।