राज्यसभा में कांग्रेस और बीजेपी का याराना, एक दूसरे की तारीफों के बांधे पुल

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नई दिल्ली। नरेंद्र मोदी सरकार और प्रमुख विपक्षी दल कांग्रेस ने एक दूसरे पर आमतौर से बरसते रहने की परंपरा को दरकिनार करते हुए बुधवार को संसद में एक दूसरे की तारीफों के पुल बांधे। राज्यसभा में ऐतिहासिक जीएसटी बिल के लिए संविधान संशोधन बिल पेश करते हुए वित्तमंत्री अरुण जेटली ने जीएसटी को लेकर सहमति पर पहुंचने के लिए कांग्रेस का शुक्रिया अदा किया। कांग्रेसी नेता के बारे में वित्तमंत्री ने कहा, “मैं विपक्ष के नेता गुलाम नबी आज़ाद का शुक्रगुज़ार हूं…”

दूसरी ओर, अरुण जेटली से पहले वित्तमंत्री रहे कांग्रेस के पी चिदम्बरम ने अरुण जेटली के ‘दोस्ताना’ भाषण के लिए उनका शुक्रिया अदा किया। दोनों पक्षों के बीच दिख रहा यह सद्भाव कुछ हद तक उस असर का नतीजा है, जो राज्यों द्वारा जीएसटी को समर्थन देने से आया है, और सरकार के मुताबिक, जिनकी वजह से आर्थिक विकास में दो फीसदी तक की बढ़ोतरी हो सकती है।

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चिदम्बरम ने कहा, “कांग्रेस जीएसटी के आइडिया के विरुद्ध कभी नहीं थी… यह बात वित्तमंत्री ने आज (बुधवार) एक टीवी इंटरव्यू में कही, और हम इस बात को स्वीकार करने के लिए उनके शुक्रगुज़ार है…”

ढेरों केंद्रीय व राज्यीय करों के स्थान पर लागू होने वाले जीएसटी का ड्राफ्ट प्रस्ताव चिदम्बरम की पार्टी ने ही सत्ता में रहते हुए तैयार किया था। हालिया महीनों में कांग्रेस द्वारा इसका विरोध किए जाने का बचाव करते हुए चिदम्बरम ने कहा, “जीएसटी का अर्थ सिर्फ ‘गुड्स एंड सर्विसेज़ टैक्स’ नहीं है, इसका अर्थ ‘गुड सेन्स ट्रायम्फ्स’ भी है… हमारी मांगें मान लेने के लिए धन्यवाद…”

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कांग्रेस की ही मांग के चलते केंद्र सरकार उस एक फीसदी अतिरिक्त कर को खत्म करने पर सहमत हो गई, जिसको लगाने का अधिकार बिल में उत्पादन ज़्यादा करने वाले राज्यों को दिया गया था। अब कांग्रेस की मांग को मान लेने के कारण केंद्र सरकार पांच साल तक इन राज्यों को मुआवज़ा देगी। इसके अलावा राजस्व बंटवारे के विवादों का निपटारा करने के लिए एक स्वतंत्र एजेंसी के गठन की मांग भी कांग्रेस ने की, जिसे सरकार ने मान लिया है।

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बदले में कांग्रेस इस बात के लिए सहमत हो गई है कि टैक्स की दर को संविधान में नहीं दर्ज किया जाएगा, बल्कि टैक्स की अधिकतम सीमा को सहयोगी दस्तावेज़ों में सामने रखा जाएगा, जिसे केंद्र तथा राज्य सरकारें अलग से पारित करेंगी।

राज्यसभा में कुल 243 में से 60 सदस्य कांग्रेस के हैं, जो किसी भी अन्य पार्टी से अधिक हैं, और उनके समर्थन का अर्थ है, अंतिम समय में किसी भी तरह की बाधा का सामना किए बिना जीएसटी कानून बन जाएगा।