अगर पाकिस्तान ने कुलभूषण जाधव को दी फांसी, तो ऐसे बदला लेगा भारत

0
कुलभूषण

अगर पाकिस्तान ने अंतरराष्ट्रीय न्यायालय के आदेश का उल्लंघन करके कुलभूषण जाधव को फांसी दी, तो भारत का अगला कदम क्या होगा, इस बात को लेकर अटकलें जारी हैं। पाकिस्तानी मीडिया का दावा है कि पाकिस्तान अंतरराष्ट्रीय न्यायालय के आदेश को मानने के लिए बाध्य नहीं है। उसकी दलील है कि पाकिस्तान ने अंतरराष्ट्रीय न्यायालय में इस मामले की सुनवाई शुरू करने पर सहमति नहीं दी है, लेकिन हकीकत यह है कि पाकिस्तान ने विएना संधि के तहत इसकी सहमति पहले ही दे चुका है यानी विएना संधि के तहत वह इस न्यायालय के आदेश को मानने के लिए बाध्य है। हालांकि जाधव को बचाने के लिए भारत को दूसरे ठोस कदमों पर भी विचार करना चाहिए।

इसे भी पढ़िए :  VIDEO: देखिए इस पाकिस्तानी HOTTIE का चायवाले से लेकर मॉडल बनने तक का सफर

इस संधि के तहत पाकिस्तान कुलभूषण जाधव से भारतीय राजनयिक की मुलाकात की इजाजत देने के लिए भी बाध्य है, लेकिन पाक ने इसकी खुलेआम धज्जियां उड़ाई। लिहाजा मजबूरन भारत को अंतरराष्ट्रीय न्यायालय लेकर जाना पड़ा। विएना संधि में इस बात का साफ जिक्र किया गया है कि अगर राजनयिक मसले को लेकर किसी भी तरह का विवाद पैदा होता है, तो अंतरराष्ट्रीय न्यायालय इस पर सुनवाई कर सकता है और उसके फैसले को मानने के लिए सभी बाध्य होंगे।

इसे भी पढ़िए :  फवाद खान पर दोहरी मार, फिल्म और पैसा दोनों गए हाथ से

इसके बावजूद भी अगर पाकिस्तान अंतरराष्ट्रीय न्यायालय के आदेश का उल्लंघन करता है, तो इसको लागू कराने के लिए उसके पास कोई शक्ति नहीं है। न्यायालय मामले को लागू कराने के लिए सिर्फ 15 सदस्यीय सुरक्षा परिषद से सिफारिश कर सकता है, लेकिन इसके लिए पांच स्थायी सदस्यों और कम से कम चार अस्थायी सदस्यों की मंजूरी जरूरी है। सुरक्षा परिषद की मंजूरी के बाद पाकिस्तान के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय कार्रवाई की जाएगी, लेकिन चीन सुरक्षा परिषद में पाकिस्तान का बचाव कर सकता है और इस पर वीटो का इस्तेमाल कर सकता है।

इसे भी पढ़िए :  पाकिस्तानी सेना ने नौशेरा गांव को निशाना बनाकर की फायरिंग

इससे पहले भी पाकिस्तान जैश-ए-मोहम्मद सरगना मसूद अजहर को अंतरराष्ट्रीय की प्रतिबंधित सूची में शामिल कराने की भारत की कोशिशों पर अड़ंगा लगाता आ रहा है। ऐसे में भारत के पास पाकिस्तान को खुद सबक सिखाने का रास्ता बचेगा। इससे पहले निकारागुआ मामले में अमेरिका ने वीटो का इस्तेमाल करके अंतरराष्ट्रीय न्यायालय के आदेश को लागू करने से इनकार कर दिया था। इसके तहत अमेरिका ने निकारागुआ को मुआवजा देने से मना कर दिया था।