अब पाकिस्तान में भी उठी जाधव के पक्ष में आवाज़

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इस्लामाबाद : ICJ में शिकस्त मिलने के बाद अब कुछ पाकिस्तानियों ने सवाल उठाए हैं कि भारतीय नागरिक कुलभूषण जाधव को राजनयिक मदद (कौंसुलर ऐक्सेस) देने से इनकार क्यों किया गया? यही वो सवाल है, जिसे भारत ने आईसीजे के सामने भी बेहद मजबूती से रखा था। भारत ने बताया था कि किस तरह पाकिस्तान ने भारत की ओर से इससे जुड़ी दरख्वास्त 16 बार खारिज कर दी। बता दें कि गुरुवार को आईसीजे ने पाकिस्तान की सैन्य अदालत द्वारा जाधव को सुनाई गई फांसी पर रोक लगा दी थी।

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द डॉन में छपी रिपोर्ट के मुताबिक, पाकिस्तानी सामाजिक कार्यकर्ता असमां जहांगीर ने पूछा, ‘यह राय किसने दी कि जाधव को कौंसुलर ऐक्सेस नहीं दिया जाए। इससे क्या उन कैदियों के अधिकार खतरे में नहीं पड़ेंगे, जो भारतीय जेलों में बंद हैं? क्या कोई इंटरनैशनल कानून बदल सकता है?’ एक अन्य मशहूर पाकिस्तानी वकील ने जहांगीर जैसे ही सवाल उठाए। वकील यासीन लतीफ हमदानी ने दुनिया न्यूज को कहा, ‘पाकिस्तान को शुरुआत से ही कुलभूषण को राजनयिक पहुंच की सुविधा देनी चाहिए थी। आईसीजे यह बिलकुल नहीं कहता कि जाधव को कौंसुलर ऐक्सेस न दिया जाए।’

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हमदानी के मुताबिक, आईसीजे ने भारत के मामले पर तुंरत सुनवाई इसलिए की क्योंकि पाकिस्तान ने यह भरोसा नहीं दिया कि सुनवाई खत्म होने से पहले वह जाधव को फांसी नहीं देगा। इसलिए कोर्ट ने स्टे दे दिया। बता दें कि गुरुवार को भारत के पक्ष में फैसला सुनाते हुए इंटरनैशनल कोर्ट ने माना था कि कौंसुलर ऐक्सेस न देना विएना समझौते का उल्लंघन है। कोर्ट ने कहा था कि जाधव मामले में अंतिम निर्णय आने तक जाधव की फांसी की सजा पर रोक लगाई जाए और किसी भी तरह की दुर्भावना की कार्रवाई नहीं करनी चाहिए। कोर्ट ने भारत की विएना संधि के तहत मांग को जायज ठहराया था।

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