प्रणब दा मेरे अभिभावक : मोदी

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नयी दिल्ली, 25 जुलाई :भाषा: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी की तारीफों का पुल बांधते हुए उन्हें ‘‘अभिभावक और मार्गदर्शक’’ बताया और कहा कि दो साल पहले प्रधानमंत्री पद संभालने के बाद उन्होंने अंगुली पकड़ कर विभिन्न विषयों पर मुझे रास्ता दिखाया है।

राष्ट्रपति पद पर प्रणब मुखर्जी के आज चार साल पूरे हुए।

राष्ट्रपति भवन संग्रहालय के दूसरे चरण का उद्घाटन करते हुए मोदी ने कहा, ‘‘मैं दिल्ली की दुनिया में नया था। मेरे लिए नया माहौल था। विभिन्न विषयों पर राष्ट्रपति ने एक अभिभावक, एक मार्गदर्शक के रूप में मेरी अंगुली पकड़कर मुझे रास्ता दिखाया। बहुत कम लोगों को ऐसा गौरव मिला है।’’ राष्ट्रपति भवन के इतिहास को संरक्षित करने तथा भवन संरक्षण की दिशा में उठाए गए कदमों की प्रशंसा करते हुए मोदी ने कहा कि मुखर्जी ने अपने सार्वजनिक जीवन के दौरान और राष्ट्रपति पद पर चार साल के कार्यकाल में इस ऐतिहासिक भवन को बहुत कुछ दिया है।

उन्होंने कहा कि मुखर्जी ने राष्ट्रपति भवन को आम जनता और सत्ता के सर्वोच्च केन्द्र के बीच संपर्क क्षेत्र के रूप में विकसित किया।

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उन्होंने कहा, ‘‘महत्वपूर्ण बात यह है कि मेरी राजनीतिक पृष्ठभूमि अलग है और राष्ट्रपति की राजनीतिक पृष्ठभूमि अलग, लेकिन उनके साथ हम प्रत्येक क्षण महसूस कर सकते हैं कि कैसे लोकतंत्र में विभिन्न राजनीतिक पृष्ठभूमि के लोग कंधे से कंधा मिलाकर काम कर सकते हैं।’’ मोदी ने यह भी कहा कि उनकी सरकार द्वारा लायी गयी लगभग सभी योजनाओं को ‘प्रेंसीडेंट स्टेट’ में लघु रूप में लागू किया जा रहा है, जबकि कई राज्य इनकी घोषणा करने में भी हिचकिचाहट महसूस कर रहे हैं।’’ प्रधानमंत्री ने प्रेसीडेंट स्टेट को ‘‘10,000 से अधिक आबादी वाला गांव बताया।’’ उन्होंने कहा, ‘‘किसी दूसरे राजनीतिक दल के व्यक्ति की सरकार के बावजूद भी सरकार की योजनाओं को राष्ट्रपति भवन में लागू किया जा रहा है, यह महानता सिर्फ प्रणब दा ही दिखा सकते हैं।’
Print Printपीटीआई-भाषा संवाददाता 23:53 HRS IST
प्रणब मोदी दो अंतिम
मोदी ने कहा, ‘‘इतिहास जीवन में दवा की तरह काम करता है। जो लोग इतिहास भूल गए हैं उन्होंने जीवन का तत्व खो दिया है। मंदिरों में मूर्तियां पत्थरों की बनती है लेकिन लोगों की श्रद्धा के कारण उन्हें ईश्वर का दर्जा मिल जाता है। ऐतिहासिक स्थलों के पत्थर इतिहास संजोये रखते हैं जो आगे का रास्ता दिखाता है। हमें पत्थरों की आवाज सुननी होगी।’’ प्रणब मुखर्जी ने अपने भाषण में कहा कि बाबू राजेंद्र प्रसाद के 1950 में राष्ट्रपति बनने के बाद से भारतीय लोकतंत्र कदम दर कदम मजबूत हुआ है।

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उन्होंने कहा, ‘‘भारत एक ऐसा देश है जहां एक व्यक्ति से दूसरे के हाथ में, एक पार्टी से दूसरी पार्टी के हाथों में सत्ता के हस्तांतरण पर एक घंटे के लिए भी कभी कोई समस्या खड़ी नहीं हुई है।’’ मुखर्जी ने कहा कि साल 2014 के आमचुनाव के पहले काफी अटकलें थी लेकिन जब जनादेश पाकर मोदी उनसे मिलने आए तब उन्होंने बस यही कहा कि वह गणतंत्र के प्रधानमंत्री के रूप में उनकी नियुक्ति पत्र के साथ तैयार हैं और पूछा कि वह शपथ कब लेंगे। उन्होंने कहा, ‘‘जब मैं चुना गया और उससे पहले मेरे पूरे जीवन में, मैं कांग्रेस का सदस्य रहा हूं। प्रधानमंत्री ने ठीक ही मेरी पृष्ठभूमि का जिक्र किया कि यह उनकी पृष्ठभूमि से अलग है लेकिन भारतीय राष्ट्रपति की संवैधानिक जिम्मेदारी के चलते न सिर्फ मैं बल्कि सभी तेरहों राष्ट्रपति ने विभिन्न फैसले लिए।’’ राष्ट्रपति ने कहा कि अपने पूरे राजनीतिक जीवन में वह राष्ट्रपति भवन से कुछ ही दूरी पर रहे लेकिन इसके बारे में बहुत कम जानते थे क्योंकि वे सिर्फ इसमें डायनिंग हॉल, अशोका हॉल और स्टडी ऑफ प्रेसीडेंट गए थे।

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उप राष्ट्रपति हामिद अंसारी ने कहा कि वषर्गांठ तो होते ही रहते हैं और मनाये जाने चाहिए लेकिन यह वषर्गांठ कुछ अलग है।

उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति जी का इस पद चार साल हुआ है और चार साल सफलतापूर्वक होना खुशी मनाने का अवसर है।

उन्होंने कहा कि शाम का कार्यक्रम अलग था क्यांेकि राष्ट्रीय राजधानी को एक नया संग्रहालय मिल गया।

संग्रहालय का प्रधानमंत्री द्वारा उदघाटन किए जाने के अलावा कई पोर्टफोलियो और पुस्तकों का इस मौके पर विमोचन किया गया।

राष्ट्रपति ने राष्ट्रपति भवन की वेबसाइट पर पर्यटक केंद्रित एक माइक्रो साइट भी शुरू किया।