सीबीआई ने सोमवार को सुप्रीम कोर्ट को बताया कि वह एयरसेल-मैक्सिस डील में पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम की भूमिका की जांच कर रही है। बता दें कि 2006 में मलयेशियाई कंपनी मैक्सिस द्वारा एयरसेल में 100 प्रतिशत हिस्सेदारी हासिल करने के मामले में रजामंदी देने को लेकर चिदंबरम पर अनियमितताएं बरतने का आरोप है।
यह दावा किया गया है कि इस डील के लिए तयशुदा प्रक्रिया को नहीं अपनाया गया। इसके तहत, एफडीआई से संबंधित प्रस्ताव को आर्थिक मामलों की कैबिनेट कमिटी को मंजूरी के लिए भेजा जाना था। हालांकि, ऐसा नहीं किया गया, जबकि यह डील 600 करोड़ रुपये से ज्यादा का था।
बीजेपी नेता सुब्रमण्यन स्वामी इस मामले में सुप्रीम कोर्ट पहुंचे थे। इसके बाद सरकार की ओर से अडिशनल सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने यह जवाब कोर्ट में दाखिल किया।
10 फरवरी को स्वामी ने सुप्रीम कोर्ट से कहा था कि उनकी याचिका का ट्रायल कोर्ट के उस फैसले से कोई मतलब नहीं है, जिसमें एयरसेल-मैक्सिस डील में मारन बंधुओं को बरी कर दिया गया था। इस केस में तत्कालीन टेलिकॉम मिनिस्टर दयानिधि मारन पर आरोप लगा था कि उन्होंने एयरसेल के मालिक सी शिवकृष्णन पर मलयेशियाई कंपनी मैक्सिस को कंपनी की हिस्सेदारी बेचने का डील बनाया। आरोप था कि इसके बदले मारन के टेलिविजन बिजनस में भारी निवेश किया गया।