श्रद्धा कपूर अभिनित ‘हसीना पारकर’ फिल्म में जिस दमदार महीला की भूमिका निभा रहीं है। वह कोई मसीहा नहीं एक डॉन थी। जिसके नाम से पूरा मुंबई थरथर कांपता था। हसीना पारकर खौफ का दूसरा नाम बन गया था। ये एक ऐसा ना था, जिससे मुंबई के नागपाडा एरिया का हर शख्स कांपता था। मोस्ट वांटेड आतंकी दाऊद इब्राहिम की बहन होने की वजह से हसीना को मुंबई के अपराध जगत में आपा के नाम से भी जाना जाता है।
फिल्म ‘हसीना-द क्वीन ऑफ मुंबई’ की कहानी हसीना पार्कर के आम लड़की से चार बच्चों की मां और फिर नागपाड़ा की गॉडमदर और फिर माफिया क्वीन बनने तक मुंबई के चार दशकों का खाका खींचती है।
हसीना पार्कर का जन्म महाराष्ट्र के रत्नागिरी जिले में हुआ था। उसके पिता इब्राहिम कास्कर मुंबई पुलिस विभाग में हेड कॉन्स्टेबल थे और मां अमीना बी एक हाउसवाइफ थी। 10 भाई-बहनों में वो सातवें नंबर की थी।
1991 में अरुण गवली ने अपने पिता की हत्या का बदला लेने के लिए दाऊद इब्राहिम के बहनोई यानी हसीना पार्कर के पति इस्माइल पार्कर को मार दिया था। इसका बदला लेने के लिए दाऊद ने जेजे हॉस्पिटल शूटआउट करवाया था। जे.जे.हॉस्पिटल शूटआउट का ये मामला मुंबई के गैंगलैंड के इतिहास का सबसे सेनसेशनल मुद्दा रहा है। 1993 के बम धमाकों के बाद हसीना के भाई-बहनों ने मुंबई छोड़ दी और इसके बाद हसीना ने अपने भाई के बनाई हुई अपराध की दुनिया की कमान अपने हाथ में ले ली।
इसके बाद ही हसीना ने अपना घर बनाया मुंबई के नागपाड़ा इलाके की गॉर्डन हॉल नामक बिल्डिंग में. कहा जाता है कि हसीना को ये घर इतना पसंद आया था कि उसने सिर्फ घर का ताला तोड़कर उसमें रहना शुरू कर दिया था। किसी ने उसके खिलाफ कोई शिकायत नहीं की।
हसीना का नाम झोपड़ पट्टियों के धंधे, फिल्मों के लिए एक्सटॉर्शन और विदेशों में रिलीज के राइट्स को लेकर मोलभाव करना, हवाला रैकेट और फिरौती जैसे जुर्मों के लिए मशहूर था।
उसके नाम पर 88 मामले थे, लेकिन इसके बावजूद आजतक हसीना के खिलाफ सिर्फ एक ही एफआईआर दर्ज हुई है।