मेरी नियुक्ति कुछ ही वक्त के लिए, ये ऑनरशिप की लड़ाई नहीं- रतन टाटा

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मिस्त्री को वर्ष 2011 में कंपनी में चेयरमैन रतन टाटा का उत्तराधिकारी चुना गया था और उन्हें पहले डिप्टी चेयरमैन बनाया गया। टाटा संस के चेयरमैन पर दर मिस्त्री का चुनाव पांच सदस्यीय एक समिति ने किया था। मिस्त्री ने रतन टाटा के 75 वर्ष की आयु पूरी करने पर उनकी सेवानिवृत्त के बाद 29 दिसंबर 2012 को चेयरमैन का पद भार संभाला था। मिस्त्री वर्ष 2006 से कंपनी के निदेशक मंडल में शामिल रहे हैं। कंपनी के सबसे बड़े हिस्सेदार शापूरजी पालोनजी ने कंपनी के चेयरमैन पद के लिए उनके नाम की सिफारिश की थी।

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मिस्त्री टाटा समूह के छठे अध्यक्ष थे और नोरोजी सक्लात्वाला के बाद दूसरे ऐसे अध्यक्ष, जिनके नाम में टाटा नहीं था। अर्थशास्त्रियों ने एक समय में उन्हें भारत तथा ब्रिटेन का सबसे महत्वपूर्ण उद्योगपति करार दिया था। मिस्त्री ने रतन टाटा से अध्यक्ष पद की कमान ऐसे वक्त में ली थी, जब टाटा समूह की कई कंपनियों का हाल बुरा था और उनकी सबसे बड़ी चुनौती अंतर्राष्ट्रीय इस्पात कारोबार को तंगहाली से निकालना और अन्य कारोबारों को एकजुट रखना था। 100 अरब डॉलर की कंपनी में लगभग सात लाख कर्मी कार्यरत हैं।

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