सावधान ! अगर आपके पास मेडिक्लेम पॉलिसी है तो जान लीजिए कि कैसे खेल कर रही हैं बीमा कंपनियां

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किसी बीमारी के इलाज के लिए एक रसायन (सॉल्ट) तैयार किया जाता है जिसे दवा की शक्ल दे दी जाती है। कंपनियां अलग-अलग नामों से इस सॉल्ट को बेचती है। इस सॉल्ट का जिनेरिक नाम सॉल्ट के कंपोजिशन और बीमारी का ध्यान रखते हुए एक विशेष समिति द्वारा निर्धारित किया जाता है। किसी भी सॉल्ट का जेनेरिक नाम पूरी दुनिया में एक ही रहता है। इन दवाओं की कीमत का निर्धारण सरकार के हस्तक्षेप से होता है इसीलिए यह सस्ती पड़ती हैं।

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