
प्रभाकर ने बॉलीवुड में जगह बनाने के लिए बहुत हाथ-पांव मारे। मनोज वाजपेयी के पिता की पैरवी वाली चिट्ठी लेकर वे मुबंई पहुंचे लेकिन काम बन नहीं पाया। 1997 में वे कोस्टारिका पहुंच गए। वहां पढ़ाई की और फिर कारोबार में हाथ आजमाया लेकिन नाकामियों और संघर्ष का सिलसिला जारी रहा।

प्रभाकर के सफर की तुलना किसी रोलर कोस्टर से की जा सकती है जिसमें ऊपर-नीचे जाने का सिलसिला बना रहता है। उन्होंने बताया, “मेरी फ़िल्म भी एक रोलर कोस्टर की तरह ऊपर नीचे जाती है। कोस्टारिका और इस इलाक़े में कभी भी एक्शन फ़िल्म नहीं बनी थी। शुरू से मैं बॉलीवुड में कुछ करना चाहता था। वहां भी मुंबई में मैंने कुछ कोशिश की थी। मौका नहीं मिलने पर मैं यहां आ गया था।”
उन्होंने बॉलीवुड फिल्मों का लातिन अमरीका में वितरण के काम में भी हाथ आजमाया।वे आगे कहते हैं, “फिर कोस्टारिका में मैंने बॉलीवुड की पांच छह फ़िल्में खरीदकर रिलीज़ कराईं। 2006 में मैंने लातिन अमरीका में अक्षय कुमार की फ़िल्म ‘गरम मसाला’ रिलीज़ की। मैं हरदम बॉलीवुड के नजदीक आना चाहता था। उस समय मैं 20 -25 लाख रुपये में फ़िल्में खरीदता था। यहां आमदनी होती थी 2 लाख से 3 लाख।”
प्रभाकर ने कहा, “फिर बात हुई बॉलीवुड के कुछ निर्देशकों से कि क्या हम किसी प्रोजेक्ट को बॉलीवुड के अंदाज़ में लातिन अमरीका में बना सकते हैं? अपने आइडिया को लेकर मैंने फिल्म डॉयरेक्टर जी विश्वनाथ को भी बुलाया। लेकिन हम नाकाम हो गए। इसके बाद मैंने यहां डब्ल्यू डब्ल्यू ई से जुड़े कुछ ईवेंट कराए। उनका नाम था मोंस्टर ट्रक ईवेंट। काफी बड़ा ईवेंट था। अमरीका से 48 पू्र्व चैंपियनों को बुलाया था। जो बाइक और ट्रक के जरिए प्रदर्शन करते थे।”
प्रभाकर की फिल्म लातिन अमरीका में अगले साल नौ फरवरी को रिलीज हो रही है। वे इसे हिंदी और अंग्रेजी में डब कराना चाहते हैं। उनकी योजना फिल्म को अमरीका और भारत में ही रिलीज करने की है। बिहार के लिए खासतौर पर वो इसे भोजपुरी में रिलीज करना चाहते हैं।































































