परवरिश से मिला बड़ा ब्रेक
1977 में अमिताभ बच्चन के साथ की गई फिल्म ‘परवरिश’ ने उन्हें बड़ा ब्रेक दिलाया। पहली बार इसी फिल्म से उन्होंने स्टारडम का स्वाद चखा। विनोद को 1971 में पहली सोलो लीड फिल्म ‘हम तुम और वो’ मिली। बाद में गुलजार के ‘मेरे अपने’ में शत्रुघ्न सिन्हा के अपोजिट निभाए गए उनके किरदार को आज भी लोग याद करते हैं। गुलजार की ही फिल्म ‘अचानक’ में मौत की सजा पाए आर्मी अफसर का किरदार निभाने के लिए भी उन्हें काफी तारीफ मिली। बाद में अमिताभ के अपोजिट हेराफेरी, खून पसीना, अमर अकबर एंथनी, मुकद्दर का सिकंदर में भी उन्होंने यादगार रोल निभाया।
तो अमिताभ पर पड़ते भारी
कहा जाता है कि अगर विनोद खन्ना ओशो के आश्रम न जाते तो आने वाले वक्त में वह अमिताभ बच्चन के स्टारडम को फीका कर देते। बहुत कम लोग ही जानते हैं कि विनोद खन्ना की सबसे हिट फिल्मों में से एक ‘कुर्बानी’ का रोल पहले अमिताभ बच्चन को ही ऑफर किया गया था। उन्होंने यह रोल ठुकरा दिया, जिसके बाद विनोद खन्ना ने यह किरदार निभाया। बाद में विनोद को ‘रॉकी’ फिल्म ऑफर की गई, लेकिन उन्होंने यह फिल्म नहीं की। इस फिल्म से संजय दत्त ने बॉलिवुड में एंट्री ली।