प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की महत्वाकांक्षी योजना ‘स्वच्छ भारत अभियान’ को कामयाब बनाने के लिए केंद्र सरकार ने इस पर करोड़ों रूपए खर्च किए। यहां तक कि इस अभियान को हर आम इंसान से जोड़ने के लिए इसका चेहरा भी महानायक अमिताभ बच्चन को बनाया गया। लेकिन स्वच्छ भारत अभियान के नाम पर गुंडागर्दी, क्या ये जायज़ है?
स्वच्छता के नाम पर गुंडागर्दी का एक नया उदाहरण सामने आया है जहां कुछ लोग एक बुजुर्ग को बुरी तरह से पीटते हुए गालियां दे रहे हैं। बुजुर्ग की सिर्फ गलती यह है कि वे खुले में शौच कर रहा था।
जनता का रिपोर्टर के अनुसार, उनका दिल पिटाई से नही भरा तो उन्होंने बुजुर्ग से उसकी धोती में मल तक उठवा लिया। सोशल मीडिया वेबसाइट्स पर इस वीडियो की खूब आलोचना हो रही है।
भारत में खुले शौच जरूर एक विकराल समस्या है लेकिन यह भी तथ्य है कि ग्रामीण भारत में शौच संबंधी ढांचा चरमराया हुआ है। अंग्रेजी अखबार ‘दि हिन्दू’ की वेबसाइट पर 2 अक्टूबर 2016 को छपे एक लेख के अनुसार,भारत की 51.1 प्रतिशत ग्रामीण आबादी अभी भी खुले में शौच करते है।
भारत का प्रदर्शन अफ्रीका के देशों से काफी खराब है। यहां तक कि भारत के कई पडोसी भी इस मानक पर अच्छा प्रदर्शन कर रहे है। बांगलादेश की सिर्फ 5 प्रतिशत आबादी ही खुले में शौच करती है। सवाल यह भी है सरकारों की असफलताओं की सज्जा क्यों पाएं।