रोमांच की तलाश में पहाड़ों में खो गया और झेली मुसीबतें

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शरलॉक बनने से पहले बेनेडिक्टे क्यू मबरबेच आम लड़कों की तरह एक खोया हुआ सा लड़का था जिसे खुद की तलाश थी। लिहाजा उसने हिमालय की यात्रा का फैसला लिया और रोमाचंकारी अनुभव जुटाए। क्यूजमबरबेच की नई सुपरहीरो फिल्मा “डॉक्टलर स्ट्रें ज” में वह बताते हंी कि किस तरह एक 19 साल के लड़के ने अपनी पढ़ाई से साल भर की छुट्टी ली और हिमालय के पर्वतों में खो गया।

दार्जिलिंग में संतों को अंग्रेजी सिखाने के बाद और राजस्थारन के रेगिस्ताटन की खाक छानने के बाद अपने तीन दोस्तों के साथ एक बस से यात्रा करते हुए काठमांडू पहुंचा। लेकिन तभी उसे ऊंचाई पर होने वाली बीमारियों ने आ घेरा। तीसरे दिन उसे लगने लगा कि अब तो उसके सपने चकनाचूर हो गए। उसे यूं लगा मानो यह सब उसके सपने में हो रहा है। उसे ये भी नहीं पता था कि वह यह सब बेहोशी में सोच रहा है या होश में।
इन अनुभवों में दलदल से निकालकर पानी पीना, बेकार पड़े हुए खलिहानों में सोकर रात बिताना समेत और भी कड़वे अनुभव शामिल थे। ये रातें उन्होंपने अपने जेहन से लड़ते हुए बिताईं। यहां दिमाग काम नहीं कर रहा था। उन्हें लगातार जंगली जानवरों से खुद की सुरक्षा भी करना था। अगले दिन, उन्हों ने एक योजना बनाई। वे नदी के सहारे चलते जाते इस उम्मी।द में कि काश इसी बहाने वे किसी आबादी तक पहुंच सकें।
उनके टखनों में जोंक चिपकी हुई थीं। पत्थहरों पर सोते हुए उनकी गर्दन बुरी तरह दुखने लगी। आखिर वे एक गांव पहुंचे। यहां आकर उन्होंहने भूख प्रकट करने का वैश्विक तरीका आजमाया। वे लगातार अपने हाथों से मुंह की ओर इशारा करते जाते। इसके बाद उन्हें खाना भी मिला, और वह भी ऐसा कि कभी नहीं खाया होगा। बिना धुली हुई सब्जियां और कटोरा भरकर अंडे। इसे खाने के बाद क्यूामबरबेच को पेचिश की तकलीफ हो गई।

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