32 साल पहले…2 दिसंबर की काली रात… भोपाल ने देखी थी सदी की सबसे बड़ी तबाही, जिंदा हैं जख्म

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भोपाल
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2 दिसंबर की वो मनहूस रात शायद ही भोपाल वासी कभी भुला पाएंगे.. जो चंद घंटों में उनकी खुशियां लील गई थी। किसी का सुहाग उजड़ा, तो किसी की गोद सूनी हो गई, किसी के सिर से मां-बाप का साया उठ गया तो किसी की हंसती खेलती जिंदगी काल का ग्रास बन गई। यहां तक कि किसी का तो पूरा का पूरा परिवार ही तबाह हो गया।

ये काली रात भारत और दुनिया के इतिहास में हजारों मौतों और बीमारियों के एक लंबे सिलसिले की शुरुआत के बतौर याद की जाती है। ऐसी रात जब भोपाल स्थित यूनियन कार्बाइड प्लांट से टनों मिथाइल आइसोसाइनेट(एमआईसी) गैस का रिसाव हुआ जिसने हज़ारों को मौत की नींद सुला दिया। दम घुटने और हार्ट अटैक से हजारों मौतें हुई और कितने ही लोग आज भी सांस की बीमारियों, अंधेपन और कैंसर से जूझ रहे हैं।

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सरकारी आंकड़ों के मुताबिक इस हादसे में 3,700 की मौत हुई। कई एनजीओ का दावा है कि मौत का आंकड़ा 10 से 15 हजार के बीच था। गैस से करीब 5,58,125 लोग प्रभावित हुए थे। इनमें से करीब 4000 लोग ऐसे थे जो गैस के प्रभाव से परमानेंट डिसेबल हो गए थे जबकि 38,478 को सांस से जुड़ी दिक्कतों का सामना करना पड़ा था।

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गौरतलब है कि दो-तीन दिसंबर 1984 की दरम्यानी रात गैस त्रासदी हुई। यूनियन कार्बाइड कारखाने के 610 नंबर के टैंक में खतरनाक मिथाइल आइसोसाइनाइट रसायन था। टैंक में पानी पहुंच गया। तापमान 200 डिग्री तक पहुंच गया। धमाके के साथ टैंक का सेफ्टी वाल्व उड़ गया। उस समय 42 टन जहरीली गैस का रिसाव हुआ था।

दिसंबर 1984 में हुआ भोपाल गैस कांड दुनिया की सबसे बड़ी औद्योगिक त्रासदी थी। उस वक्त एंडरसन यूनियन कार्बाइड का प्रमुख था। उसे घटना के चार दिन बाद गिरफ्तार किया गया था। लेकिन जमानत मिलने के बाद वह छुपकर अमेरिका लौट गया। फिर कभी भारतीय कानूनों के शिकंजे में नहीं आया। उसे भगोड़ा घोषित किया गया। अमेरिका से प्रत्यर्पण के प्रयास भी हुए। लेकिन कोशिशें नाकाम रहीं। भोपाल गैस त्रासदी के सबसे बड़े आरोपी 92 वर्षीय एंडरसन की मौत 29 सितंबर को अमेरिका के फ्लोरिडा में गुमनामी में हो गई। यहां तक कि उसके परिवार को भी मौत की खबर नहीं दी गई थी। बता दें कि एक अस्पताल से मिले सरकारी रिकॉर्ड से इसकी पुष्टि हुई थी।

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अगले स्लाइड में देंखें भोपाल गैस कांड की दर्दनाक तस्वीरें

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